ऐसे काम करती है दवा
‘टाइडग्लूसिब’ दातों की गुदा में मूल कोशिकाओं में उत्तेजना पैदा करती है, जो की दंतधातु का नया स्रोत है। इनैमल (दंतवल्क) वह धातु है जो दांतों के गुदा के नीचे पाई जाती है जो दंत गलन के कारण खराब हो जाती है। दांत बिना किसी सहायता के प्राकृतिक रूप से फिर से इनैमल को उत्पन्न कर सकते हैं। हालांकि, सिर्फ एक निश्चित अवस्था में। इनैमल फिर से उत्पन्न हो इसके लिए गुदा में संक्रमण (जैसे सडऩ) या फिर सदमा लगे। लेकिन, ऐसा होने पर दांत बहुत ही पतली स्तह प्राक्रतिक रूप से बना पाता है जो सडऩ के कारण कैविटी हो जाती है जिसकी जड़ी काफी गहरी होती हैं। ‘टाइडग्लूसिब’ जीएसके-३ नामक एन्जाइम को बंद करके इस परिणाम को बदल दे देता है। जीएसके-३ इनैमल को बनने से रोकता है।
शोध में वैज्ञानिकों ने कैविटी में ‘टाइडग्लूसिब’ में डूबे हुए कौलाजेन से बने छोटे बायोडिग्रेडेबल स्पंजों को कैविटी में डाला। इन स्पंजों ने इनैमल के पुर्ननिमाण में मदद की और 6 हफ्तों के अंदर जो दांतों में नुकसान हुआ था, वह ठीक हो गया। कौलाजन से बने स्पंजों का ढांचा पिघल गया, जबकि दांत को कुछ नहीं हुआ। ब्रिटेन के एक प्रमुख अखबार ‘द टेलीग्राफ’ से बातचीत करते हुए शोध दल में शामिल किंग कॉलेज लंदन डेंटल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर पॉल शार्प ने बताया कि फिलहाल यह तरीका चूहों पर अपनाया गया। प्रोफेसर शार्प ने बताया कि हालांकि दवा अलजाइमर बीमार के लिए बनाई गई है, लेकिन दांतों के इलाज में कारगर साबित होने पर दांतों में होने वाली समस्याओं को आने वाले समय में निपटा जा सकेगा।