‘कमी’ भी न रोक सकी राह
महज 4 साल की उम्र से आसमान में उडऩे का ख्वाब बुनने वाली सिरीषा ने नासा ज्वॉइन करने के लिए अप्लाई किया था। लेकिन दृष्टि दोष होने के कारण उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। बावजूद इसके उन्होंने एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा ली और अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने के बाद आज अपने सपने को पूरा करने जा रही हैं। उन्होंने अमरीका के एडवांस्ड एयरक्राफ्ट एल-3 के कम्युनिकेशन सिस्टम को भी डिजाइन किया है। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद वे तीसरी भारतीय महिला हैं जो अंतरिक्ष तक उड़ान भरेंगी। बांदला वर्तमान में अमरीकन एस्ट्रॉनॉटिकल सोसायटी, फ्यूचर स्पेस लीडर्स फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के रूप में सक्रिय हैं।
यूट्यूब चैनल से दूसरों को दिखा रही राह
इतना ही नहीं, गुंटूर जैसे दक्षिण भारत के छोटे से जिले से निकलकर आसमान छूने का सपना पालने वाली अपने जैसी लड़कियों की राह आसान करने के लिए सिरीषा अपने यूट्यूब चैनल ‘लैसंस फ्रॉम बंदला सिरीषा’ के जरिए नासा, स्पेस इंडस्ट्री, इससे जुड़ी शुरुआती स्कूली शिक्षा, ट्रेनिंग, सकॉलरशिप, ट्यूटोरियल क्लास और गाइडेंस भी देती हैं।