280 महिलाओं पर आज़माई थी तकनीक
लुइस ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह 4 साल की थीं जब उनकी मां ने उन्हें इसके बारे मेंं बताया था। इतना ही नहीं उन्होंने लुइस को उसके पैदा होने के समय का वीडियो भी दिखाया था। लुइस की मां उन 280 महिलाओं में से एक थीं, जो 43 साल पहले इस प्रयोग का हिस्सा बनीं थीं। उनमें से केवल पांच ही गर्भवती हुई थीं और लुइस अकेली बच्ची थीं जो इस तकनीक की मदद से दुनिया देखने में कामयाब रहीं। दरअसल, लुइस के माता-पिता लेस्ली और जॉन ब्राउन नौ साल से बच्चे के लिए कोशिश कर रहे थे। लेस्ली की फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने से वे गर्भवती नहीं हो पा रही थीं। जनम के समय लुइस का वजन 2.6 किग्रा था।
प्राकृतिक रूप से हुए बच्चे
लुइस की छोटी बहन नैटली ब्राउन उनके जन्म लेने के 4 साल बाद आइवीएफ तकनीक से ही हुई थीं। उस दौर में इस तकनीक पर वैज्ञानिकों, सामाजिक संस्थाओं और धार्मिक संगठनों ने कई सवाल उठाए थे। इतना ही नहीं, लुइस ने 2006 में अपने पहले बेटे कैमरोन को प्राकृतिक तरीके से जनम दिया। हालांकि, आइवीएफ तकनीक से जन्मी किसी बच्ची द्वारा प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने और स्वस्थ बच्चे को जनम देने का श्रेय उनकी बहन नैटली को जाता है जिन्होंने 1999 में ही अपनी पहली बेटी को जनम दिया था। आज लुइस और नैटली के क्रमश: दो और तीन बच्चे हैं।