अटलांटिक महासागर के आधे हिस्से के बराबर
शोध टीम ने पाया कि लगभग चार अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर 100 से 1500 मीटर गहरे समुद्रों में भरपूर पानी था। टीम ने यह भी बताया कि मंगल ग्रह के लिए ये पानी पर्याप्त था। लेकिन मात्रा की दृष्टि से समझें तो यह अटलांटिक महासागर के आधे हिस्से के बराबर कहा जा सकता है। यहां के समुद्रों में पानी एक अरब साल बाद सूख गया और आज की स्थिति में था।
शोध टीम ने पाया कि लगभग चार अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर 100 से 1500 मीटर गहरे समुद्रों में भरपूर पानी था। टीम ने यह भी बताया कि मंगल ग्रह के लिए ये पानी पर्याप्त था। लेकिन मात्रा की दृष्टि से समझें तो यह अटलांटिक महासागर के आधे हिस्से के बराबर कहा जा सकता है। यहां के समुद्रों में पानी एक अरब साल बाद सूख गया और आज की स्थिति में था।
फिर कहां गया पानी
इस अध्ययन से पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि मंगल पर कम गुरुत्वाकर्षण के चलते उसका अधिकांश पानी अंतरिक्ष में चला गया। अब शोधकर्ताओं का विचार है कि कम गुरुत्वाकर्षण के चलते कुछ पानी जरूर अंतरिक्ष में चला गया होगा, लेकिन अधिकांश पानी के जाने की बात सही नहीं हो सकती। शोध अध्ययन के प्रमुख लेखक इवा शेलर का कहना है कि वायुमंडल से पानी लापता होना इस बात का संकेत नहीं देता कि ग्रह पर वास्तव में कितना पानी था।
इस अध्ययन से पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि मंगल पर कम गुरुत्वाकर्षण के चलते उसका अधिकांश पानी अंतरिक्ष में चला गया। अब शोधकर्ताओं का विचार है कि कम गुरुत्वाकर्षण के चलते कुछ पानी जरूर अंतरिक्ष में चला गया होगा, लेकिन अधिकांश पानी के जाने की बात सही नहीं हो सकती। शोध अध्ययन के प्रमुख लेखक इवा शेलर का कहना है कि वायुमंडल से पानी लापता होना इस बात का संकेत नहीं देता कि ग्रह पर वास्तव में कितना पानी था।