विज्ञान और टेक्नोलॉजी

ऑपरेशन या प्रत्यारोपण की नहीं आएगी नौबत, नई तकनीक पर आधारित होगा कृत्रिम हाथ

बिना किसी ऑपरेशन के नसों में सेंसर लगा के नकली हाथ लगा दिया जाएगा जो पूरी तरह से काम करने लायक होगा।

नई दिल्लीFeb 27, 2018 / 02:49 pm

Priya Singh

नई दिल्ली। किसी दुर्घटना में अगर हाथ कट जाए तो लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है लेकिन अब तकनीक और साइंस इतनी आगे चली गई है की उसका कोई सान्य नहीं है। विज्ञान के जगत में एक बड़ी उपलब्धता हाथ लगी है। यह खबर उनके लिए है जिनका किसी हादसे हाथ में चला गया हो। आपको बता दें जल्द ही प्रोस्थेटिक यानि कृत्रिम हाथ लगाने के लिए ऑपरेशन या प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं रहेगी।

वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसमें बिना किसी ऑपरेशन के नसों में सेंसर लगा के नकली हाथ लगा दिया जाएगा जो पूरी तरह से काम करने लायक होगा। इस कृत्रिम हाथ की कलाई और उंगलियां नसों पर लगे हुए विशिष्ट सेंसर के मुताबिक काम करेंगी। वैज्ञानिकों ने इसका सफल परिक्षण अब 8 लोगों पर किया है और वह पूरी तरह से काम कर रहा है।
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जल्द ही इसे मेडिकल काउंसिल की मंजूरी के लिए भी भेजा जाएगा। बंगलुरू में आयोजित देश के सबसे बड़े फॉर्मा सम्मेलन में इस तकनीक को पेश किया गया था। इस तकनीक को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से मेड इन इंडिया अभियान की अब तक की सबसे बड़ी मिसाल बताया है। इससे पहले एम्स और कोच्चि स्थित अमृता अस्पताल जैसे कुछ अस्पतालों में ही कृत्रिम हाथ का प्रत्यारोपण किया जाता रहा है।
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जानकारी के लिए बता दें डॉक्टरों का कहना है कि एक प्रत्यारोपण में लगभग 14 से 16 घंटे लगते हैं और इसमें 20 लाख रुपए तक का खर्चा भी आता है। कारणवश ज्यादात्तर लोग इसका फायदा भी नहीं उठा पाते हैं। भारत में पहली बार किसी विदेशी नागरिक का हाथ प्रत्यारोपण 8 अगस्त 2017 को कोच्चि में हुआ था। इस नए शोध को वैज्ञानिकों ने रोबोबॉयोनिक्स नाम दिया है। इस तकनीक की पूरी जांच एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम ने की है। यह हमारे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित हुई है।

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