रिसर्च के अनुसार, वीडियो कॉल प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं को अपने अपीरिएंस से ज़्यादा अपनी आवाज़ पर ध्यान देने की ज़रूरत है
वीडियो कॉम्फ्रेंसिंग में महिलाओं की आवाज अलग ढंग से सुनाई पड़ती है
कोरोनाकाल में वर्चुअल मीटिंग न्यू नॉर्मल बन गई है। इस बीच, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म्स पर हुए एक नए शोध से पता चला है कि ज़ूम, स्काइप और टीम जैसी ऐप्स मीटिंग के दौरान आने वाली सभी ध्वनियों को एक समान रूप से प्रसारित नहीं करती हैं। सिडांस्क यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर ओलिवर नीबुहर और मैगडेबर्ग विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर इंगो सीगर्ट के अनुसार, इन प्लेटफॉम्र्स के माध्यम से प्रसारित होने वाली आवाजें संकुचित (कम्प्रेस्ड) हो जाती हैं और उनकी वास्तविक आवृत्तियां बरकरार नहीं रहती हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि विशेष रूप से महिलाओं की आवाजें इस माध्यम से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। यही वजह है कि महिलाओं की आवाजें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म्स पर पुरुषों की तुलना में कम आकर्षक और कम अभिव्यक्ति की महसूस होती हैं। खराब इंटरनेट कनेक्शन भी इसमें एक प्रभावी भूमिका निभाता है। इसलिए अगर आपको भी बाई लगता है की वीडियो कालिंग पर स्मार्ट दिखना ज़्यादा ज़रूरी है तो फिर से सोचिये। क्यूंकि आवाज़ भी संवाद कायम करने और अपनी बात को सही ढंग से प्रस्तुत करने का एक महत्त्वपूर्ण जरिया है।