शोध के अनुसार- ब्रेन ट्यूमर (brain tumor ) के इलाज में कैंसररोधी दवाओं को अब मछली के जरिए सीधा दिमाग के उस भाग तक पहुंचाया जाएगा। जहां दवाइयां नहीं पहुंच पातीं। परजीवी ‘सी लैम्प्रे’ के प्रतिरोधक तंत्र में पाए जाने वाले अणुओं को अन्य उपचारों के साथ मिलाया जा सकता है और इससे अन्य प्रकार के विकार जैसे मल्टीपिल क्लिरोसिस, अल्जाइमर और आघात का भी उपचार किया जा सकेगा। इन मछलियों में जबड़े नहीं होते। जिनसे एक प्रकार का रसायन पाया जाता है।
अमरीका ( amrica )के मैडिसन-विस्कोन्सिन युनिवर्सिटी ( university) के प्रोफेसर एरिक शूस्ता के अनुसार- ‘कई स्थितियों में इसे मूल प्रौद्योगिकी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि दिमाग के ट्यूमर के लिए इंजेक्शन के जरिए कई तरह की दवाइयों को दिमाग तक पहुंचाने की कोशिश की जाती है, लेकिन दवाइयां पूरी तरह से लक्षित स्थान तक नहीं पहुंच पातीं। अब मच्छलियों के माध्यम से इन दवाइयों को दिमाग तक पहुंचाया जाएंगा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ब्रेन कैंसर, मस्तिष्काघात, ट्रॉमा जैसी स्थितियों में ये अवरोधक रोग वाले क्षेत्र में छिद्रयुक्त हो जाते हैं। अध्ययन के अनुसार- छिद्रयुक्त अवरोध वहां से प्रवेश का बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराते हैं। यहां से अणु मस्तिष्क में जा कर दवा को सटीक स्थान पर पहुंचा सकते हैं। एक अन्य शोधकर्ता बेन उमलॉफ का कहना है कि यह दवाइयों को सटीक स्थान पर पहुंचाने का एक तरीका हो सकता है, जो सामान्यतया मस्तिष्क में ठीक प्रकार से पहुंच नहीं पातीं।’