ये चौंकाने वाला खुलासा हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट और द इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजिज प्रोजेक्ट की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2019’ की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हवा की खराब गुणवत्ता की वजह से चीन के बाद देश में 12 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। रिपोर्ट में हवा से होने वाली बीमारियों और उसके असर को ग्लोबल बर्डेन डिजिज के तौर पर परिभाषित किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे लंबे समय तक दूषित हवा के संपर्क में रहने से सांस रोग,मधुमेह, स्ट्रोक,निमोनिया, हृदय रोग और फेफड़ों का कैंसर जैसी बीमारियां घेर रही हैं जिससे व्यक्ति की कम उम्र में ही मौत हो रही है।
दूषित हवा दुनियाभर में मौतों का 5वां बड़ा कारण
दूषित हवा दुनियाभर में होने वाली मौतों का 5वां सबसे बड़ा कारण है। रिपोर्ट के अनुसार सीओपीडी से होने वाली 41 फीसदी मौतें दूषित हवा के कारण होती हैं। 20 फीसदी मौतें टाइप-टू डायबिटीज, 19 फीसदी फेफड़े के कैंसर और 16 फीसदी हृदय रोग जबकि 11 फीसदी मौतें स्ट्रोक के कारण होती हैं। रिपोर्ट में बताया है कि वायु प्रदूषण की वजह से व्यक्ति की जीवन प्रत्याश 18 महीने कम हो रही है। ऐसा पहले धूम्रपान करने वाले में देखा जा रहा था। उदारण के तौर पर समझें तो अगर आज किसी बच्चे का जन्म होती है तो उसकी मौत उसकी अनुमानित आयु से बीस महीने पहले होगी क्योंकि हवा में मौजूद दूषित कण उसकी शारीरिक संरचना को खराब करने का काम दोगुनी तेजी से कर रहे हैं।
दूषित हवा का असर जानने में जुटी संस्थाएं
मनुष्य के स्वास्थ्य पर दूषित हवा का प्रभाव जानने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं लगातार काम कर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनाइटेड स्टेट्स एनवॉयरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी और दूसरे संगठन ये पता करने में लगे हैं कि दूषित हवा से स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ रहा है।
इन देशों में हुईं इतनी मौतें
चीन- 12 लाख, पाकिस्तान- 1.28 लाख, इंडोनेशिया- 1.24 लाख, बांग्लादेश- 1.23 लाख, नाइजीरिया- 1.14 लाख, अमरीका- 1.8 लाख, रूस- 99 हजार, ब्राजिल- 66 हजार, फिलिपिंस- 64 हजार लोग दूषित हवा की वजह से किसी न किसी कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।