सपनों के अंदर पहुंचे वैज्ञानिक, व्यक्ति से रियल टाइम में बात भी की
वैज्ञानिकों ने ऐसी विधी खोज ली है जिसमें वे एक सोते हुए व्यक्ति के सपने में न केवल गए बल्कि रियल-टाइम में उससे बात भी की।

सपनों में हम एक अलग दुनिया में महसूस करते हैं। सोते हुए सपने आना स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति गहरी नींद में सोते हुए भी आपसे बात करें और पूछे गए सवालों के जवाब दे। लेकिन हाल ही हुए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि वास्तव में ऐसा किया जा सकता है। जर्नल ऑफ 'करंट बायोलॉजी' में 18 फरवरी को प्रकाशित इस नए अध्ययन में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ लेखक केन पॉलर ने कहा कि, 'शोध में हमने देखा की रात्रि के अलग-अलग पहर में भी गहरी नींद (REM SLEEP) के बावजूद व्यक्ति प्रयोगकर्ता के साथ बातचीत कर सकते हैं और रियल टाइम में कम्यूनिकेशन में शामिल हो सकते हैं। इतना ही नहीं वे पूदे गए सवालों को समझकर उसी के अनुसार उत्तर देने में भी सक्षम हैं। जबकि सामान्यत: लोग ऐसा करने में सक्षम नहीं होते। गौरतलब है कि वैज्ञानिक आज तक वैज्ञानिक सपनों को पूरी तरह से नहीं समझ सके हैं।

ताकि एस्ट्रोनॉट से बात कर सकें
केन पॉलर ने कहा कि हमारा यह परीक्षण दरअसल, दूसरे ग्रह पर गए किसी अंतरिक्ष यात्री से बात करने का तरीका खोजने के लिए किया गया है। लेकिन इस परीक्षण में तथाकथित दुनिया दिमाग में ही मौजूद है जो मस्तिष्क में संग्रहीत यादों के आधार पर गढ़ी गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार इस परीक्षण की सफलता ने भविष्य में दिमाग में गहरी बसी यादों के बारे में और अधिक जानने के लिए दरवाजा खोलने का काम किया है। इस परीक्षण में कुल 36 लोगों पर चार अलग-अलग प्रयोग किए गए। शोध में अमरीका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के अलावा, फ्रांस के सोरबोन विश्वविद्यालय, जर्मनी के ओस्नाब्रुक विश्वविद्यालय और नीदरलैंड के रेडबॉड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने भी सहयोग किया।

ऐसे किया गया अध्ययन
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा और शोध की लेखिका करेन कोंकोली ने कहा कि जिन लोगों के साथ आसानी से टू-वे कम्युनिकेशन स्थापित हुआ उन्हें लगातार आकर्षक और मीठी यादों से जुड़े सपने आ रहे थे। कुल मिलाकर, शोधकर्ताओं ने पाया कि निर्देशों का पालन करते हुए सपने देखते हुए लोगों ने आसान गणितीय सवालों के जनाब, पूछे गए प्रश्नों के हां या न में जवाब और अलग-अलग संवेदी उत्तेजनाओं के बीच अंतर बताए। आंखों की मूवमेंट का उपयोग करके या चेहरे की मांसपेशियों के सहयोग से वे सभी प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। शोधकर्ताओं ने इसे 'इंटरएक्टिव ड्रीमिंग' यानी 'संवादी सपने' कहा। कोंकोली का कहना है कि इससे अनिद्रा, नींद का बार-बार टूटना और लगातार बुरे सपने आने जैसी स्लीपिंग प्रॉब्लम्स से लोगों को छुटकारा दिलाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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