97 फीसदी हैं फ्री-
वैश्विक स्तर पर 97 प्रतिशत से ज्यादा ऐप डिजिटल सामान नहीं बेचते, इसलिए उनसे सेवा शुल्क नहीं लिया जाता है। गूगल प्ले के लिए सेवा शुल्क उन डेवलपर्स पर लागू है, जो डिजिटल सेवाओं की इन-ऐप बिक्री की पेशकश करते हैं।
ऐप्स को दिया समय-
भारत में जो डेवलपर्स डिजिटल सामान बेचते हैं, पर अभी तक प्ले की बिलिंग प्रणाली के साथ एकीकृत नहीं हैं, उनके पास 31 मार्च, 2022 तक का समय है। एंड्रॉयड व गूगल प्ले के उपाध्यक्ष समीर सामत ने कहा कि भारत में हजारों डेवलपर्स इस बदलाव का लाभ प्राप्त करना शुरू कर सकते हैं।
ऐप स्टोर करेगा लॉन्च-
ऐप स्टोर में गूगल और एपल के एकाधिकार को देखते हुए भारत खुद का ऐप स्टोर लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इससे ग्राहकों को विकल्प मिल सकेगा। देश में एंड्रॉयड के पास 97त्न बाजार है। इसलिए सरकार चाहती है कि भारतीय स्टार्टअप को एक हैंड होल्डिंग दी जाए, जिससे वे इसमें काम कर सकें।
क्यों झुका गूगल-
दुनियाभर में गूगल, फेसबुक, एपल जैसी कंपनियों पर नियामकों व स्टार्टअप्स का दबाव है। अक्टूबर में 15 भारतीय स्टार्टअप्स के संस्थापकों ने कॉम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया से मुलाकात में सेवा शुल्क को अधिक बताया। अमरीकी संसद की एक उपसमिति ने जुलाई 2020 में पाया कि गूगल जैसी टेक कंपनियां प्रतिस्पर्धी माहौल बनाने में सहयोग नहीं कर रही हैं।