यह पूछे जाने पर कि एआइ वास्तव में क्या है? डोंटी ने बताया कि,’यह बहुत व्यापक शब्द है जो मूल रूप से किसी भी कम्प्यूटेशनल एल्गोरिदम को कवर करता है और हर तरह का जटिल कार्य कर सकता है। आमतौर पर, ऐसे काम भी जो इंसान कर सकते हैं, जैसे दृष्टि, भाषण, तर्क।’ एआइ शोधकर्ताओं के बीच एक बहस है कि क्या एआइ का लक्ष्य इंसान के साथ-साथ काम करना है या सुपरह्यूमन की अलौकिक उपलब्धि हासिल करना है। मशीन लर्निंग एक प्रकार की एआइ एप्लिकेशन है, जो बड़े डेटासेट से मिली अंतर्दृष्टि पर केंद्रित है। यह पूछे जाने पर कि एआइ उत्सर्जन को कम करने में कैसे मदद करता है? तो जवाब था कि एआइ के जलवायु एप्लिकेशन्स के बारे में सोचने के पांच व्यापक तरीके हैं- डेटो को सारभूत बनाकर उसे एआइ में डालना, जटिल प्रणालियों का अनुकूलन, वैज्ञानिक खोज में तेजी, उद्योगों को जलवायु के अनुरूप बनाना और अनुमानों को बेहतर बनाना।
क्या एआइ उत्सर्जन बढ़ाने में मदद कर सकता है? इस सवाल का जवाब मिला-‘हां।’ एआइ की ऐसी भी एप्लिकेशन्स हैं, जो उत्सर्जन को बढ़ा सकती हैं। बड़ी तकनीकी कंपनियां जीवाश्म ईंधन की खोज और उत्पादन को अनुकूलित करने के लिए तेल और गैस फर्मों को एआइ समाधान प्रदान करती ही हैं। खुदरा प्लेटफॉर्म पर एल्गोरिदम अनुशंसा उपकरण संभावित रूप से खपत बढ़ाने में मदद करते हैं। सेल्फ-ड्राइविंग कारों की वजह से यातायात दबाव बढ़ जाता है। इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि एआइ का इस्तेमाल करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की अनदेखी नहीं हो रही। जलवायु परिवर्तन पर हुई वर्चुअल कार्यशाला में शोधकर्ताओं ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए एआइ के इस्तेमाल पर 300 प्रस्ताव प्रस्तुत किए। जलवायु परिवर्तन से निपटने में प्रौद्योगिकी की मदद लेते समय उपयोगकर्ताओं को इसके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।