वैज्ञानिकों का दावा है कि इस सबसे छोटे बंदर ( monkey ) का वजन सिर्फ 1 किलोग्राम ( kilogram ) रहा होगा। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस नई प्रजाति ( species ) का आकार विश्व के सबसे छोटे पुराने समय के बंदर ( monkey ) ‘टैलापोइन’ जैसा ही है। कभी इनका ठिकाना केन्या के सूखे घास के मैदान हुआ करते थे।
दरअसल, जैसे-जैसे पर्यावरण ( environment ) में बदलाव होते गए, वैसे-वैसे इसका असर टैलापोइन और नैनोपीथेकस ब्राउनी दोनों प्रजातियों पर पड़ता गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘नैनोपीथेकस ब्राउनी की खोज बताती है कि इनकी उत्पति में केन्या का बड़ा योगदान माना जाता है क्योंकि इनकी सबसे ज्यादा प्रजाति केन्या के पर्यावरण में बढ़ती है। यह दूसरी सबसे पुरानी बंदरों की प्रजाति मानी जाती है।
ह्यूमन इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि नैनोपीथेकस ब्राउनी प्रजाति के बंदर केन्या के पूर्वी क्षेत्र कानापोई में पाए जाते थे। यह क्षेत्र शुष्क है। कानापोई में ही नैनोपीथेकस के साथ मानव के शुरुआती पूर्वज ऑस्ट्रेलोपिथीकस अनामेन्सिस भी माैजूद थे। शोध के मुताबिक, इसका नामकरण वैज्ञानिक फ्रेंसिस ब्राउन के नाम पर किया गया था। जिन्होंने ऊटा यूनिवर्सिटी में कानापोई क्षेत्र के बारे में लंबे समय तक रिसर्च की थी।