वार्विक यूनिवर्सिटी के खगोलविदों और कम्प्यूटर साइंस के वैज्ञानिकों ने एक खास मशीन से लर्निंग एल्गॉरिदम बनाया। इसी की मदद से नासा के पुराने आंकड़ों का अध्ययन किया जिसमें संभावित ग्रह होने के बारे में बताया गया था। वैज्ञानिकों ने नासा के रिटायर हो चुके केप्लर स्पेस टेलीस्कोप के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसमें उन्होंने नौ साल तक अंतरिक्ष में उसके बिताए डाटा का विश्लेषण किया। इसके बाद एगोरिदम के जरिए ग्रहों के अनगिनत आंकड़ों में से सही ग्रहों को छांटा गया। इसी प्रक्रिया के बाद 50 बाह्यग्रहों के बारे में पता चला। उनकी ये पड़ताल पिछले सप्ताह मंथल नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुई है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि बाह्यग्रह अपने तारे का चक्कर लगाते हैं। इनके आकार नेप्च्यून से बड़े और पृथ्वी से छोटे हैं। वहीं कुछ ग्रहों की कक्षा का समय 200 दिन का होता है तो कुछ केवल एक ही दिन में अपने सूर्य का चक्कर पूरा कर लेते हैं। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग वर्तमान में चल रहे और भविष्य के टेलीस्कोप अभियानों में मददगार साबित होंगे।