खगोलविदों के अनुसार इस तरह के विशाल रोडियो ऊर्जा का निकलने का कारण केंद्र में Black Hole का होना होता है। वर्जीनिया के नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑबजर्वेटरी के खगोलविद विलियम कॉटन का कहना है कि इस तरह का आकार लेने वाली केवल 10 प्रतिशत गैलेक्सी ही होती हैं। दक्षिण अफ्रीका में स्थित मीरकैट (MeerKAT) रेडियो टेलीस्कोप से हुए अध्ययन से पता चला है कि इस गैलेक्सी का आकार एक्स की तरह दिखता है, लेकिन वास्तव में ये एक बूमरैंग की तरह होता है। यह दिखाता है कि आकाशगंगा में कोई ऐसी चीज छिपी हुई है जिससे ये पदार्थ बह रहा है जो आकार दे रहा है।
कॉटम और अन्य शोधकर्ताओं का कहना है कि हाइड्रोडायनामिकल बैकफ्लो मॉडल के जरिए चमकीली रौशनी और आकार के कारण को समझा जा सकता है। उनके मुताबिक आकाशगंगा के केंद्र में स्थित Black Hole लाखों सालों तक बहुत सारा पदार्थ अपने अंदर समेट लेता है, लेकिन जब वह बाद में इतने ज्यादा पदार्थ को पचा नहीं पाता है तो उससे ये लिक्विड निकलने लगता है। जो रिसकर आकाशगंगा में फैल जाता है। ये नए-नए आकार में बदलता रहता है। इससे रौशनी निकलती है।