दरअसल मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में केिमकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा पौधा तैयार करने जा रहे है, जो कि रोशनी प्रदान करेगी। इस यूनिवर्सिटी में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर माइकल स्ट्रानो और उनकी रिसर्च टीम ने इसी तरह के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
आपको बता दें कि इस तरह रोशनी वाले पौधे को बनाने के लिए ये रिसर्च टीम जुगनुओं का उपयोग कर रहा है। आपको बता दें कि जुगनुओं से लुसिफेरेस नाम का एक एंजाइम निकालता है और जब ये एंजाइम लुसिफेरिन नाम के अणु के संपर्क में आकर प्रतिक्रिया करता है, तब रोशनी निकलती है और इस काम को सुचारू रूप से करने में एक दूसरा अणु कोएंजाइम ए मदद करता है।
मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी के इस रिसर्च टीम ने इन तीनों रसायनों को निकालकर उसे एक नैनोपार्टिकल्स में बदलकर कोशिश कर रहे हैं कि ये रसायन पौधों की पत्तियों में उचित मात्रा में पहुंच सके और इसके लिए वैज्ञानिकों ने इन रसायनों का मिश्रण तैयार किया और कुछ पौधों को उस मिश्रण में डुबोया।
डुबे हुए इन पौधों पर उच्च दबाव डाला गया जिससे ये नैनोपार्टिकल्स स्टोमाटा (पत्तियों की निचली सतह पर होने वाले छिद्र) के जरिए पौधे में चले जाते है। लुसिफेरिन और अन्य रसायनों के संपर्क में आने पर रासायनिक प्रक्रिया हुई और धीमी रोशनी पत्तियों से निकलती नजर आई। पहली बार तो ये रोशनी केवल 45 मिनट तक ही देखने को मिली लेकिन बाद में शोधकर्ता इसे अपने प्रचेष्टाओं से साढ़े तीन घंटे तक जलाकर रखनेे में कामयाब हुए।
हालांकि पौधों ये निकलने वाली ये रोशनी काफी हल्की थी लेकिन अब वैज्ञानिक इसे तेज रोशनी में बदलने का काम कर रहे हैं और अपनी कोशिश से वो ऐसा करने में जल्द ही कामयाब साबित हो जाएंगे। अब वो दिन दूर नहीं जब पौधे से निकलने वाली इस रोशनी का प्रयोग लोग अपनी डेस्क व अन्य स्थानों पर करते नजऱ आएंगे।