चिप की कमी और सप्लाई चेन में आई रुकावट के कारण क्रिटिकल मेडिकल इक्विपमेंट्स की कीमतें भी तेजी से बढऩे लगी हैं। इससे कई मेडिकल टेस्ट महंगा होने की आशंका है। साथ ही लोगों के लिए इलाज कराना और ज्यादा महंगा होने की आशंका जताई जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चिप की किल्लत का जल्द समाधान नहीं हुआ तो इस साल अंत तक क्रिटिकल मेडिकल उपकरणों का स्टॉक खत्म हो जाएगा। फार्मा और हेल्थकेयर इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि चिप की कमी से मेडिकल उपकरणों की कीमत में 20 फीसदी तक का इजाफा होने का आशंका है।
भयावह हो सकती है यह समस्या –
मेडिकल चिप की किल्लत को लेकर बीपीएल मेडिकल टेक्नोलॉजी के सीईओ सुनील खुराना ने कहा, अभी हालात कंट्रोल में हैं, लेकिन चिप की किल्लत अगर खत्म नहीं होती है तो इस साल के अंत तक समस्या भयावह हो सकती है। देश में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट लगाने की तरफ लंबे समय से ध्यान नहीं दिया गया।
क्रिटिकल मेडिकल उपकरणों पर असर-
20 प्रतिशत तक क्रिटिकल मेडिकल उपकरणों की कीमतें बढऩे की आशंका।
2021 के अंत तक देश में क्रिटिकल मेडिकल उपकरणों का स्टॉक हो सकता है खत्म
इतना बड़ा सेमीकंडक्टर का बाजार –
ग्लोबल चिप मार्केट अभी 34 लाख करोड़ रुपये का है ।
वर्ष 2028 तक 60 लाख करोड़ रुपये का होने की उम्मीद ।
01 प्रतिशत मेडिकल चिप का सेमीकंडक्टर के मार्केट में हिस्सा।
चीन, जापान और ताइवान से होता है आयात-
भारत के मेडिकल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर सेमीकंडक्टर चिप का आयात चीन, जापान, ताइवान और अमरीका से किया जाता है। मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि किल्लत के इस समय में नए चिप सप्लायर की तलाश करना कठिन है।
इन उपकरणों के उत्पादन पर पड़ेगा असर-
चिप का इस्तेमाल कई क्रिटिकल मेडिकल इक्विपमेंट्स में होता है। अगर मेडिकल इंडस्ट्री में चिप की शॉर्टेज होगी तो आइसीयू में इस्तेमाल होने वाले वेंटिलेटर, डेफिब्रिलिएटर, इमेजिंग मशीन, ईसीजी, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, इमप्लांट पेसमेकर समेत दर्जनों मेडिकल उपकरणों का उत्पादन प्रभावित होगा और इनकी किल्लत हो जाएगी। इन उपकरणों के बिना मरीजों का इलाज करना संभव नहीं होगा।