सम्मेलन के आखिरी दिन संवाददाताओं से बातचीत करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एवं एपीआर सैफ के सह अध्यक्ष व जापान की शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निदेशक मामी ओयामा ने कहा कि छोटे उपग्रहों के आंकड़े आम जनता से जुड़े मुद्दों को हल करने में काफी मददगार साबित होंगे। बैठक में सदस्य देशों के बीच शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ाने तथा मानव संसाधन विकास में अंतरिक्षीय सुविधाओं के अधिकतम उपयोग पर सहमति बनी। किरण कुमार ने कहा कि बैठक में यह फैसला किया गया कि हर देश में
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के उपयोग तथा छोटे उपग्रहों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। फोरम धान तथा अन्य फसलों की निगरानी, वैश्विक स्तर पर वर्षा की निगरानी, आग लगने वाले स्थानों, धुंध की निगरानी और आपदा प्रबंधन में अंतरिक्ष तकनीक को सदस्य देशों में बढ़ावा देगा।
इस बार बैठक में सदस्य देशों ने रिकॉर्ड संख्या में भागीदारी की। प्रमुख रूप से जापान, रूस, फ्रांस और इजरायल के अलावा दक्षिण कोरिया, थाइलैंड, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया के अंतरिक्ष एजेंसी प्रमुख बैठक में शामिल हुए। लगभग 600 प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हुए जिसमें से आधे विदेशी प्रतिनिधि थे। बैठक में संयुक्त राष्ट्र के आउटर स्पेस मामलों के कार्यालय ने भी भागीदारी की जबकि दो जापानी अंतरिक्ष यात्री चाकी मुकाई और कोइची वाकाता शामिल हुईं।
‘कूलिंग’ घटाएगी बिजली के बिल
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके मकान में एयर कंडीशनर बिना बिजली के काम कर सकता है? मगर अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि हां, ऐसा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसा रेडिएटिव स्काई कूलिंग की तकनीक से संभव है। कूलिंग टूल एक नई कोटिंग सामग्री से विकसित किया गया है। शोध रिपोर्ट के प्रमुख सह-लेखक यानी मुंबई में जन्मे आस्वथ रमन ने कहा, रेडिएटिव स्काई कूलिंग हमारे वातावरण की प्राकृतिक संपत्ति का लाभ उठाती है। यदि आप गर्मी को अवरक्त विकिरण के रूप में किसी ठंडी चीज में डाल सकते हैं, जैसे कि बाहरी अंतरिक्ष तो आप बिजली के बिना किसी भी एक इमारत को ठंडा कर सकते हैं। इसके बाद यह पूरे परिवेश में वायु तापमान को शांत करता है और गैर-वाष्पीकरणीय रास्ता प्रदान करता है।