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आग, हवा और ब्रह्मांड के दबाव को भी मात देगा देसी स्पेस सूट

locationजयपुरPublished: Sep 15, 2018 01:31:05 pm

Submitted by:

manish singh

गगनयान मिशन सफल होने के बाद भारत विश्व का चौथा देश होगा जिसके पास मानव मिशन पूरा करने का ताज होगा। अभी अमरीका, चीन और रूस के पास ये रेकॉर्ड है।

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आग, हवा और ब्रह्मांड के दबाव को भी मात देगा देसी स्पेस सूट

गगनयान मिशन 2022 के लिए इसरो ने जो स्पेस शूट तैयार कराया है वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात के अहमदाबाद में स्थित की श्योर सेफ्टी कंपनी में तैयार हुआ है। मेक इन इंडिया योजना के तहत तैयार इस सूट को बनाने में कंपनी को करीब चार साल का वक्त लगा और एक सूट पर करीब दस लाख रुपए खर्च हुए हैं। कंपनी को कुल तीन स्पेस सूट तैयार करने हैं जिसमें दो सूट तैयार हो चुके हैं। सूट का वजन करीब 13 किलो है। सात परतों में तैयार इस सूट पर आग, हवा, पानी और ब्रह्मांड के दबाव का भी कोई असर नहीं होगा और पंचर भी नहीं होगा। सूट में कुल करीब 200 से अधिक पुर्जे व यंत्र हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों को इसरो के हेडक्वार्टर से जोडकऱ रखेंगे। सूट में बायोमेट्रिक सिस्टम और वॉल्व लगे हैं जिससे एयर और ऑक्सीजन सप्लाई होगी। सूट पर अशोक स्तंभ के साथ देश का झंडा और इसरो का प्रतीक चिन्ह लगा है। पहले ऐसे सूट अमरीका और रूस से करोड़ों की रकम में आते थे।

इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा है कि गगनयान मिशन की बदौलत पूरे देश में 15 हजार लोगों को नौकरी मिलेगी। इसमें से 13 हजार लोगों को निजी क्षेत्र में नौकरी मिलेगी। इस अभियान के फलस्वरूप भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ 900 अतिरिक्त लोगों को भी काम करने का मौका मिलेगा। भारत करीब 40 महीने बाद यानि 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ को पूरा करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से इसका ऐलान किया था।

नौ हजार करोड़ खर्च

मिशन पर कुल करीब नौ हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसरो ने अपने पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम (एचएसएफपी) की योजना तैयार कर ली है। इसरो को फिलहाल दो हजार करोड़ रुपए की जरूरत है जिसके लिए उसने केंद्र सरकार व तीन संस्थाओं को पत्र लिखा है। मिशन पर निगरानी बेंगलुरु के पिन्या स्थित टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क से होगी। श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट, सतीश धवन स्पेस सेंटर से मानव मिशन प्रक्षेपित होगा।

30 महीने की कड़ी ट्रेनिंग

गगनयान मिशन के तहत तीनों अंतरिक्ष यात्री सात हजार किलो. वजनी क्रू कैप्सूल से अंतरिक्ष में जाएंगे। तीनों सात दिन तक पृथ्वी का करीब 400 किमी. का चक्कर लगाएंगे। इससे पहले एस्ट्रोनॉट को 30 माह की कड़ी टे्रनिंग से गुजरना होगा। बेंगलुरू के इंस्टीट्यूट ऑफ एविएन मेडिसिन में भारतीय वायुसेना व इसरो यात्रियों को प्रशिक्षित करेगा।


इन तीन लोगों के बारे में जानना ज़रूरी है


के. सिवन
इसरो के निदेशक हैं। मूल रूप से तमिलनाडु के निवासी हैं। इन्हें रॉकेटमैन भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने रॉकेट में इस्तेमाल होने वाला क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन तैयार किया था जिसमें ईंधन के रूप में इस्तेमाल गैस बहुत कम तापमान पर भी काम करती है।


वी. आर. ललितम्बिका
देश के पहले ह्यूमन स्पेस मिशन प्रोग्राम का नेतृत्व करेंगी। अभी ये तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई सेंटर की निदेशक हैं। मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। वर्ष 1988 में 26 साल की उम्र में इन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत इसी सेंटर से की थी।


राकेश शर्मा
भारत के पहले और दुनिया के 138वें अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्होंने विदेशी धरती से अंतरिक्ष यात्रा की थी। दो अप्रेल 1984 को इसरो और सोवियत संघ के इंटरकॉसमॉस संयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष गए थे। अंतरिक्ष से भारत की तस्वीर खींची थी।

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