इन्होंने मंगलवार को इस कान को दिखाते हुए कहा कि इसे प्रयोगशाला में एक प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है। बता दें कि चीन के वैज्ञानिकों ने करीब एक हफ्ते पहले ही इस बात का ऐलान किया था कि वो जन्म से ही एक कान से ना सुन सकने वाले पांच बच्चों के लिए इस तरह के कान बनाएंगे और उस बयान के एक हफ्ते बाद ही भारतीय डॉक्टरों ने इस कान को निर्मित कर सबके सामने प्रदर्शित कर दिया।
एसआरएम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का इस बारे में कहना है कि खरगोश पर किए गए अध्ययन और प्रयोगों से इस बात का खुलासा हुआ कि कान में कुछ ऐसी कोशिकाएं होती हैं जिसे कि लैब में बढ़ाई जा सकती है। एसआईएमएस हॉस्पिटल के सीनियर प्लास्टिक सर्जन के श्रीधर ने कहा कि जन्म से ही जो बच्चे बहरे पैदा होते है, उनमें इस कान को लगाए जाने में अभी हमें इस क्षेत्र में और भी प्रयास करने होंगे लेकिन निरंतर प्रयास से हमें जल्द ही इसमें सफलता मिलेगी।
आपको बता दें कि डॉक्टर और वैज्ञानिकों की ये टीम पिछले करीब दो सालों से अपने इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैंऔर इस विषय में अभी और काम करने की आवश्यकता है जिसके बाद ही इस कृत्रिम कान का बच्चों में सही ढ़ंग से प्रत्यारोपण किया जाएगा। ये आविष्कार विज्ञान की दुनिया में एक बहुत बड़ी क्रांति होगी और आने वाले समय में इससे बहुत लोगों को मदद मिलेगी।