एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि तारों की संख्या लगातार कम होती जा रही और प्रकाश प्रदूषण बढ़ता चला जा रहा है। ये दावा पॉट्सडैम में जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस के वैज्ञानिक डॉ. क्रिस्टोफर काबा की ओर से किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले एक दशक में तारों की संख्या में कमी देखी गई। वैज्ञानिकों ने इसका कारण आर्टिफिशियल लाइट्स की वजह से होने वाला ‘स्काईग्लो’ को बताया।
वैज्ञानिको ने कहा कि 2011 से हर साल धरती पर रात के समय रोशनी बढ़ती जा रही है। स्टडी में बताया गया कि प्रकाश प्रदूषण रात के आकाश को रोशन कर रहा है, इस कारण तारे गायब हो रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि जो तारे पहले नंगी आंखों से देखे जा सकते थे, वो अब आकाश में चमक बढ़ने के कारण दिखाई देने बंद हो गए हैं।
अभी की स्थिति की बात करें तो अगर आप कम प्रदूषण वाले स्थान पर जाते हैं तो आपको आसमान में ढेर सारे तारे दिखते हैं। मगर किसी शहर में जाते ही ये कम हो जाते हैं। असल में वो कम नहीं होते, बल्कि प्रकाश प्रदूषण की वजह से कम दिखने लगते हैं। इंसानों द्वारा बनाई गयी रोशनी से धरती पर चारों तरफ लाइट का रिफ्लेक्शन इतना ज्यादा हो गया है कि आंखों से आसमान के तारों का धुंधला हो जाना जायज है।
स्टडी में बताया गया है कि 18 साल पहले एक आम आदमी या स्टार गेजर रात के आसमान में 250 लाइट स्पॉट या ऑब्जेक्ट देख सकता था। अब यह संख्या घटकर 100 रह गई है। ये आंकड़े दुनिया भर के हजारों नागरिक वैज्ञानिकों की जानकारी से जुटाए गए हैं। अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आसमान अलग-अलग दरों पर चमक रहा है।
वैज्ञानिकों ने अपने 12 वर्षों के अध्ययन के बाद इस चौंकाने वाली बात का खुलसा करते हुए कहा कि हर साल आसमान की चमक में लगभग 10 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी हो रही है। शहरों में देर रात तक रहने वाली लाइट ऐसी स्थिति की एक बड़ी वजह हो सकती है। वैज्ञानिकों ने अपने स्टडी में पाया कि तारों की दृश्यता में काफी बदलाव आ चुका है। ये दावा तब सच के करीब माना गया जब लोगों ने भी यही ऑब्जर्व किया।
पॉट्सडैम में जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस के वैज्ञानिक डॉ. क्रिस्टोफर काबा ने कहा कि विकास के नाम पर जिस तरह से इंसानों द्वारा निर्मित रोशनी बढ़ रही है, वो प्राकृतिक नजारों के लिए खतरनाक साबित होता जा रहा है। इसके अलावा काबा ने इस स्थिति से निपटने के उपाय भी बताया। उन्होंने कहा कि इसके लिए आधुनिक एलईडी बल्ब का प्रयोग करना चाहिए।