विज्ञान और टेक्नोलॉजी

क्यों नहीं कर पाते हैं हम खुद को गुदगुदी? शोधकर्ताओं ने सुलझाई ये गुत्थी

बर्लिन की हुमबोल्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक शोध किया है
शोधकर्ताओं के मुताबिक खुद को छूने पर शरीर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता

Oct 02, 2019 / 01:12 pm

Priya Singh

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नई दिल्ली। कोई हमें गुदगुदी करने की मंशा से भी आगे बढ़े तो हम उस पल को सोचने भर से हंसने लगते हैं। और जब कोई हमें गुदगुदी करे तो हमारा हंस-हंसकर पेट दर्द करने लगता है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि हम खुद को गुदगुदी क्यों नहीं कर पाते हैं? इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए बर्लिन की हुमबोल्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने शोध किया है। उन्होंने एक चूहे पर इस शोध को किया है। दरअसल चूहे भी गुदगुदी करने पर इंसानों जैसी प्रतिक्रिया देते हैं।

चूहों पर किए गए इस शोध में सामने आया कि जब हर बार गुदगुदी करने पर चूहों के दिमाग पर अलग-अलग असर पड़ता है। शोध में पाया गया कि जब चूहे खुद गुदगुदी करते हैं तो उनके दिमाग का वो हिस्सा जो हंसने के सदेश भेजता है वो काम नहीं करता। जब चूहों को किसी और गुदगदी की तो उनके दिमाग को किसी और के स्पर्श का सिंगला मिला और उन्होंने अलग तरह से आवाज़ भी निकाली।

बता दें की जिस सिग्नल की यहां बात हो रही है उसे सोमैटसेंसरी सिस्टम कहा जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक खुद को छूने पर शरीर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता। इसलिए खुद गुदगुदी करने पर भी ऐसा ही होता है। दिमाग को सिग्लन पहुंच जाता है जो बताता है कि जब हम खुद को छूते हैं तो वह नुक्सानदायक नहीं होता है इसलिए हमारे शरीर पर उसका कोई असर नहीं पड़ता है।

गुदगुदी करना भी है खतरे का संकेत

शोधकर्ताओं की मानें तो गुदगुदी करने भी हमारे दिमाग को खतरे का ही संकेत जाता है। शरीर के अंग जैसे पेट, कांख और जांघ पर सबसे ज्यादा न्यूरॉन पाए जाते हैं। ऐसे में इन जगहों पर कोई गुदगुदी करता है तो न्यूरॉन जल्दी-जल्दी दिमाग को संदेश पहुंचाने लगता है। कुछ समय बाद दिमाग को लगता है कि गुदगुदी किया जाना खतरनाक नहीं है तो वह हंसकर तनाव दूर करने लगता है।

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