कैलिफोर्निया ( California ) विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्रा मारिसा चैटमैन नील्सन ने कहा, “हमारे डेटा ने पहली बार प्रदर्शित किया कि समुद्र के पानी के संपर्क में मानव त्वचा की विविधता और संरचना में बदलाव हो सकता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य, स्थानीयकृत और प्रणालीगत रोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समुद्र के पानी के संपर्क में आने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल व श्वसन संबंधी बीमारी, कान में संक्रमण और त्वचा में संक्रमण हो सकता है। अध्ययन के लिए नौ व्यक्तियों की जांच की गई, जिन्हें 12 घंटों तक स्नान नहीं करने दिया गया। इसके अलावा उन्हें सनस्क्रीन के उपयोग की मनाही की गई। साथ ही इस बात का ध्यान रखा गया कि उन्होंने पिछले छह महीनों के दौरान कोई एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न किया हो।
पानी में रहने वाले ये जीवाणु बड़ी तादाद में हमारे आस-पास रहते हैं। इन छोटे जीवों का हमारे शरीर के अंगों की सेहत पर अच्छा और बुरा दोनों तरह का असर पड़ता है अच्छा और बुरा। प्रदूषण के बुरे असर से प्रभावित माइक्रोबायोम हमारी सेहत पर भी बुरा असर डालते हैं।
इनपुट-आईएएनएस से भी