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वैज्ञानिकों ने पानी के भंवर से समझा कैसे काम करता है ब्लैकहोल, जानिए कैसे हुआ ये संभव

Published: Feb 05, 2021 07:44:19 pm

Submitted by:

Vivhav Shukla

शोधकर्ताओं ने बाथ टब के पानी के भंवर के जरिए ब्लैकहोल के बारे में नई जानकारी हासिल करने का प्रयास किया है
वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लैकहोल एक्रीशन और बाथटब से नाली में जाता हुए पानी एक तरह काम करते हैं

Swirling Vortex of Bathtub Water Mechanism of Black Hole Physics revel

Swirling Vortex of Bathtub Water Mechanism of Black Hole Physics revel

नई दिल्ली। Black hole स्पेस में वो जगह है जहाँ भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता। यहां गुरुत्वाकर्षण बल सबसे शक्तिशाली होता है। Black hole में एक एक बार जो फंस जाता है वो कभी नहीं बच सकता। यहां तक की प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है।Black hole के बारे में अब तक वैत्रानिकों ने बहुत से शोध किए हैं लेकिन इसके बारे में जो भी अब तक पता चल सका है वह सीधे नही बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से जाना जा सका है।
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पानी के भंवर के जरिए मिली ब्लैकहोल की जानकारी

वैज्ञानिक ब्लैकहोल का अध्ययन करने के लिए उस पदार्थ पर फोकश करते हैं, जो तेजी से उस ब्लैकहोल का चक्कर लगाता हुआ उसके अंदर जाने वाला होता है। लेकिन अब शोधकर्ताओं ने बाथ टब के पानी के भंवर के जरिए ब्लैकहोल के बारे में नई जानकारी हासिल करने का प्रयास किया है।वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लैकहोल को समझने में बाथटब अपवहन का भंवर मददगार साबित हुआ है। ब्लैकहोल एक्रीशन और बाथटब से नाली में जाता हुए पानी एक तरह काम करते हैं। बाथटब में नीचे जाते पानी की तरह ब्लैकहोल की तरंगित प्रतिक्रिया भी काम करती हैं। ब्लैकहोल में गायब होने वाली तरंग ऊर्जाओं बिल्कुल वैसे ही काम करती है, जैसे बाथटब में नीचे जाता हुआ पानी। इसे कोई अवरोध नहीं रोक सकता।

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ऐसे काम करता है बैक रिएक्टिंग सिस्टम

यूके के नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के भौतिकविद सैम पैट्रिक बताते हैं कि बाथटब में नीचे जाते पानी की तरंगे पानी की गति और उसके साथ प्रभाव गुरुत्व खिंचाव में बदलाव लाती है। ठीक ऐसा ही ब्लैकहोल में भी होता है। ज्यादा पदार्थ आने से एक्रीशन प्रक्रिया में तेजी आती है। ब्लैकहोल अनुरूपों जैसे उनके समकक्ष गुरुत्व वाले पिंडों आदि में अंतर्निहित बैक रिएक्टिंग सिस्टम होता है। जैसे बाथ टब में भी पानी का स्तर तेजी से नीचे चला जाता है। चाहे टब में कितना भी पानी भरा हो।
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पैट्रिक के मुताबिकत बाथटब में पानी के स्तर में बदलाव की तरह ब्लैकहोल के गुणों में भी बदलाव आता है। इसकी मदद से ये समझा जा सकता है कि ब्लैकहोल के स्पेसटाइम के प्रभाव में कैसे बदलाव ला सकता है । इसके अलावा यह भी समझने में आसानी होगी की तरंगों के ब्लैकहोल गतिकी पर होने वाले प्रभाव कैसे काम करते हैं। पैट्रिक ने बताया कि बाथटब प्रक्रिया पूरी तरह से दिखाई देती है। इसकी मदद से ब्लैकहोल के वाष्पीकृत होने वाले प्रयोगों में ही मदद मिलेगी।
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