scriptतो ऐसे रखा जाता है नए ग्रहों और उनके उपग्रहों का नाम | The bizarre and brilliant rules for naming new stuff in space | Patrika News

तो ऐसे रखा जाता है नए ग्रहों और उनके उपग्रहों का नाम

locationजयपुरPublished: Nov 11, 2019 09:38:03 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

जानिए ग्रहों-उपग्रहों का नाम रखने के पीछे का विज्ञान, फिक्शन कहानियों के पात्र और जगहों के आधार पर भी रखे जाते हैं नाम

तो ऐसे रखा जाता है नए ग्रहों और उनके उपग्रहों का नाम

तो ऐसे रखा जाता है नए ग्रहों और उनके उपग्रहों का नाम

अंतरिक्ष में खगोलविज्ञानियों के खोजे नए ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, उल्कापिंडों और तारों व आकाशगंगाओं के नाम क्या होंगे यह कैसे तय किया जाता है? क्या कभी आपने सोचा है कि अंतरिक्ष में अब तक ढूंढे गए विभिन्न ग्रहों और तारों का नाम वही क्यों रखा गया जिस नाम से हम आज इन्हें पहचानते हैं? क्या अंतरिक्ष विज्ञान की तरह इनके नाम रखने की भी कोई गूढ़ जटिल प्रक्रिया है? अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (आईएयू) 1919 से सौर मंडल के ग्रह और उपग्रहों के अलावा नए खोजे जाने वाले खगोलीय पिंडो का नामकरण करने में आधिकारिक भूमिका निभाता है। वर्तमान में शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरबीनों और नए रोबोटिक्स स्पेश मिशन की बदौलत खोजे जा रहे सौर परिवार के नए सदस्यों के नाम रखने में आईएयू की अद्भुत, विचित्र और रोचक नामकरण प्रक्रिया हमारे सामने नए ग्रहों का परिचय प्रस्तुत करती है। खगोलविज्ञानी भी संघ के दिशा निर्देशों का बारीकी से पालन करते हैं। संघ की बताई गाइडलाइन के अनुसार ही नामकरण किया जाता है।
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अलग-अलग है नाम रखने की प्रक्रिया
उदाहरण के तौर पर अगर किसी चंद्र खगोलवेत्ता ने चंद्रमा पर किसी नई चोटी की खोज की है तो उसका नाम किसी भू-विज्ञानी के नाम पर रखा जाएगा। ऐसे ही शनि ग्रह के उपग्रह टाइटन पर अगर किसी नई स्थलाकृति की खोज होती है तो उसका नाम फंतासी या विज्ञान कथा के आधार पर नामकरण किया जाएगा। इसी प्रकार अगर ब्रहस्पति ग्रह के किसी नए चंद्रमा की खोज होती है तो उसका नाम अग्नि, ज्वालामुखी या 14वीं शताब्दी के इटैलियन साहित्यकार-कवि दांते की कविता इन्फर्नो पर आधारित होना चाहिए।
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ब्रहस्पति के च्रदमाओं के लिए नाम किए आमंत्रित
हाल ही वाशिंगटन स्थित कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस ने घोषणा की है कि बीते साल खोजे गए बृहस्पति के कई चंद्रमाओं के नामकरण के लिए वह स्वतंत्र रूप से युवाओं, वैज्ञानिकों और खगोलविदों से नाम आमंत्रित करता है। लेकिन नाम आईएयू के निर्देश और नियमानुसार होने चाहिए। कार्नेगी के खगोलविद स्कॉट शेफर्ड ने बताया कि प्रतिभागी संभावित नाम दी हैंडल@ज्यूपिटर ल्यूनेसी पर हैशटैग नेमज्यूपिटर्समून्स पर ट्वीट किए जा सकते हैं।
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नामकरण के लिए आईएयू के प्रोटोकॉल
ब्रहस्पति के नए खोजे गए चंद्रमाओं का नाम ग्रीक या रोमन पौराणिक कथाओं में वर्णित किसी एक चरित्र से आना चाहिए। इसके अलावा नाम 16 वर्ण या उससे कम का होना चाहिए। इसके अलावा यह अपमानजनक (ऑफेंसिव), व्यवसासिक और बीते 100 वर्षों में किसी भी राजनीतिक, सैन्य या धार्मिक गतिविधियों के लिए उपयोग न किया गया हो। साथ ही नाम किसी जीवित व्यक्ति और वर्तमान में मौजूद किसी भी चंद्रमा या क्षुद्रग्रह के नाम से मिलता-जुलता भी नहीं होना चाहिए। सबसे अहम बात यह है कि अगर चंद्रमा अपने संबंधित ग्रह की घूर्णन दिशा में ही गतिमान है तो इसका नाम ए पर खत्म होना चाहिए और अगर यह ग्रह की विपरीत दिशा में घूमता है तो इस सूरत में नाम ई पर समाप्त होना चाहिए।
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ताकि न हो किसी तरह का भ्रम
खगोलविद स्कॉट शेफर्ड का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ के मापदंडों को पूरा करने वाले पौराणिक कथाओं के पात्रों की संख्या सीमित हैं। उनके अनुसार वर्तमान में ई शब्द पर समाप्त होने वाले नाम चलन से बाहर हैं। हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के खगोलशास्त्री गैरेथ विलियम्स का कहना है कि ब्रह्मांड के गहन अध्ययन के दौरान किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति से बचने के लिए ये कड़े नियम बनाए गए हैं। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में संघ के अस्तित्त्व में आने से पहले तक सौर मंडल का अध्ययन भ्रम और गड़बडिय़ों से भरा हुआ था। अक्सर नए ग्रहों और तारों के नामकरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय विवाद व राजनीतिक खींचतान भी शुरू हो जाती है।
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2015 में बनाए नए नियम
चार साल पहले नासा के न्यू होराइजन्स प्रोब के अंतरिक्ष मिशन पर रवाना होने के बाद नासा और आईएयू ने एक नामकरण योजना तैयार की जो सुदूर अंतरिक्ष की गहराइयों और खोज की यात्राओं पर केंद्रित थी। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि किसी भी ग्रह पर मिलने वाले पहाड़ों का नाम ऐतिहासिक खोजकर्ताओं के नाम पर रखा जाएगा। वहीं इसके चंद्रमा पर मिलने वाले काले धब्बे और मैदान अंतरिक्ष अभियानों के नाम पर रखे जाएंगे। इसी के चलते प्लूटो पर पाए गए 20 हजार फीट ऊंचे बर्फ के पहाड़ का नाम नेपाली पर्वतारोही तेंजिंग नोर्गे के नाम पर रखा गया है। ऐसे ही इसके चंद्रमा पर पाए गए काले धब्बों का नाम हॉलीवुड फिल्म लॉर्ड ऑफ द रिंग्स के पात्र ‘मोरडोर’ के नाम पर रखा गया है। एक बार नाम चुन लिए जाने पर इसे बदला नहीं जा सकता।
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