इस स्पेसक्राफ्ट को बनाने में लिए 800 मिलियन डॉलर खर्च हुए हैं। अंतरिक्ष यान को बेन्नू के चक्कर लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस दौरान यान का रोबॉटिक आर्म इसकी सतह को छुएगा और फिर नमूने इकट्ठा कर साल 2023 में धरती पर लौटेगा।
नासा के अनुसार, तस्वीर में यह क्षुद्रग्रह तारों की विपरीत दिशा में घूमता दिखाई देता है। बेन्नू पर पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यान अपने उपकरणों की मदद से क्षुद्रग्रह की धूल और प्राकृतिक उपग्रह के साथ ही उसके प्रतिबिंब बनाने की क्षमता का पता लगाएगा।
यान लैंड होने के बाद बेन्नू के उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के करीब से गुजरेगा। 2020 में वैज्ञानिक इस यान द्वारा जुटाए नमूने जमा करेंगे और 2023 तक यह पृथ्वी पर लौट आएगा।
अमेरिका के एरिजोना विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष यान के प्रमुख जांचकर्ता दांते लॉरेटा के मुताबिक इंसान पहली बार बेन्नू के इतना करीब पहुंचा है। हमने पांच लाख क्षुद्रग्रह में से बेन्नू को इसलिए चुना था क्योंकि यह सूर्य के चारों ओर धरती के पथ के करीब है। माना जा रहा है कि साल 2135 में यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी अपने अंतरिक्ष मिशन के तहत ही एक दूसरे को सहयोग करते हुए भारत और फ्रांस अगले साल से समुद्र की निगरानी के लिए उपग्रह लांच करने पर काम शुरू करेंगे। फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दोनों देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए भूमध्य सागर से हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्से को कवर करने के लिए उपग्रहों को डिजाइन किया जाएगा और अंतरिक्ष मिशन की दिशा में यह बेहद अहम कदम माना जाएगा।
दूसरी तरफ चिंता की बात ये है कि साल 2135 में यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकरा सकता है। हालांकि खुद नासा का कहना है कि पृथ्वी से इसके टकराने की आशंका 2700 में से महज एक फीसदी है। किसी क्षुद्रग्रह के लिए लांच किया गया यह नासा का पहला मिशन है। इससे सौर मंडल के रहस्यों से पर्दा उठाने में मदद मिल सकती है।