खबर के मुताबिक जापान की शिंजुओका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अभी परीक्षण के लिए बिल्कुल छोटा एलिवेटर बनाया है। इसमें एक बॉक्स होगा जो सिर्फ छह सेंटीमीटर लंबा, तीन सेंटीमीटर चौड़ा और तीन सेंटीमीटर ऊंचा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अंतरिक्ष में दो मिनी सैटेलाइट्स के बीच 10 मीटर तक का केबल लगाया जा सकेगा। इससे दोनों सैटेलाइट एक-दूसरे से अच्छी तरह संपर्क में रहेंगे। एलिवेटर बॉक्स की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखने के लिए सैटेलाइट में कैमरे भी लगाए जाएंगे। कहा जा रहा है कि अंतरिक्ष में एलिवेटर इस्तेमाल के महत्वाकांक्षी सपने को पूरा करने के लिहाज से यह शुरुआती प्रयोग भर है।
अगले हफ्ते जापान की स्पेस एजेंसी तानेंगशिमा इसके जरिए एच-2B रॉकेट का लॉन्च कर सकती है। अंतरिक्ष में एलिवेटर का आइडिया पहली बार रूस के वैज्ञानिक कॉन्स्टानटिन तॉसिल्कोवास्की ने 1895 में दिया था। उनके मन में यह विचार एफिल टावर देखने के बाद आया था। करीब एक सदी बाद ऑर्थर सी क्लार्क ने अपने उपन्यास में भी यह विचार दोहराया। हालांकि, तकनीकी बाधाओं की वजह से इस दिशा में कोई बड़ी प्रगति नहीं हो सकी।
जापान की निर्माण कंपनी ओबायाशी इंसान को अंतरिक्ष में भेजने वाला एलिवेटर बनाने की तैयारी में है। ओबायाशी भी शिजुओका यूनिवर्सिटी के प्रयोग से जुड़ी है। यह कंपनी 2050 में खुद के बनाए एलिवेटर से इंसान को अंतरिक्ष में भेजना चाहती है। उसका कहना है कि स्पेस एलिवेटर बनाने में कार्बन नैनोट्यूब तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। कार्बन बेहद हल्का और स्टील से 20 गुना मजबूत होता है।
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया, ‘यह विश्व का पहला ऐसा प्रयोग है जिसमें अंतरिक्ष में ऐलिवेटर के इस्तेमाल को लेकर काम किया जा रहा है।’ ऐलिवेटर बॉक्स की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखने के लिए सैटेलाइट में कैमरे भी लगाए जाएंगे। हालांकि, अंतरिक्ष में ऐलिवेटर इस्तेमाल के महत्वाकांक्षी सपने को पूरा करने के लिए लिहाज से यह अभी बस शुरुआती प्रयोग भर ही है।