आपको बता दें की डेसमंड कॉलेज की एक छात्रा 15 वर्षीय एमिली डफी डबलिन में परोपकारार्थ धन एकत्र करने का काम कर रही थीं, जिसका उद्देश्य बेघर लोगों की सहायता करना था। परोपकार कार्य के दौरान वह बेघर लोगों को पेश आने वाली समस्याओं को समझ गईं। उनकी दुर्दशा से प्रभावित होकर उन्होंने स्लीपिंग बैग डिजाइन किया ताकि सर्दी नहीं लगे, ये बैग अग्निरोधी भी हैं। उन्होंने स्लीपिंग बैग को ‘डफी बैग’ नाम दिया। बैग परावर्तक पदार्थ से बनाया गया है और इसमें चेन के बजाय वेल्क्रो पट्टियाँ लगी हैं जो इसे उपियोग करने के लिए बैग में अंदर जाने और बाहर निकलने के लिहाज से अधिक आरामदेय बनाते हैं। और ठंड से लोगों को बचाते है।
इस जमा देने वाली ठंढ में अगर किसी को सबसे जादा उसकी मार झेलनी पड़ती है है वो बस बेघर लोग ही हैं। बेघरों के लिए तैयार किए गए डफी बैग प्रायोगिक और स्वास्थ्यकर स्लीपिंग बैग हैं। उन्होंने अपने अविष्कार को डबलिन में बीटी युवा वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में पेश किया, जहां इसे बहुत सराहा गया था। अब वह सड़क पर रहने वाले कुछ लोगों को पैसा कमाने में मदद कर रही हैं। डबलिन के पूर्व बेघर लोग अब मेंडिसिटी संस्थान में इन स्लीपिंग बैग के निर्माण में सहायता कर रहे हैं, इस काम के लिए उन्हें 10 डालर प्रति घंटा मेहनताना मिलता है।