पहले जमाने में ऐसी स्थिति आने पर लड़कियां शर्म के चलते घरों से बाहर नहीं निकलती थी लेकिन आजकल लड़कियों के चेहरे पर बाल आने लगें तो वेक्सिंग और लेजर ट्रीटमेंट के जरिए वो अपनी दुविधा को खत्म कर रही है। लेकिन सवाल वहीं का वहीं है कि जब कुदरत ने दाढ़ी मूंछ लड़कों के लिए बनाए हैं तो ये लड़कियों के चेहरों पर कैसे उग आते हैं।
इस विषय पर जब बहस छिड़ी तो दिल्ली स्थित डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सुरूचि पुरी ने विस्तार से इस मसले पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि लड़कियों के चेहरे पर बाल आना बायोलॉजिकल साइकिल में गड़बड़ी आ जाने की वजह से होता है। हालांकि इसके और भी दूसरे कारण होते हैं लेकिन बड़ी वजह यही होती है।
उन्होंने बताया कि पहली वजह जेनेटिक हो सकती है क्योंकि घर के बड़े लोगों को अगर ऐसा होता आ रहा है तो इसकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं, दूसरी वजह है हॉर्मोन्स में संतुलन बिगड़ने की वजह से भी चेहरे पर बाल आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि थोड़े बहुत बाल तो हर शरीर पर होते हैं फिर चाहे वो लड़का हो या लड़की। लेकिन जब लड़कियों के शरीर पर जरूरत से ज्यादा बाल आ जाएं तो मसला हारमोन्स या जेनिटिक असर का हो सकता है और इसका इलाज संभव है।
डॉ. सुरूचि ने बताया कि चेहरे पर बहुत अधिक बाल होने की स्थिति को ‘हाइपर ट्राइकोसिस’ कहते हैं। अगर आनुवांशिक वजहों के चलते चेहरे पर बाल हैं तो इसे ‘जेनेटिक हाइपर ट्राइकोसिस’ कहते हैं और अगर ये परेशानी हॉर्मोन्स के असंतुलन के चलते है तो इसे ‘हरस्युटिज़्म’ कहते हैं। इन सभी स्थितियों में इलाज एक ही समान तरीके से किया जाता है।
दरअसल हॉर्मोन में गड़बड़ी का एक बड़ा कारण पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिस्ऑर्डर) हो सकता है, और इसके लिए आजकल की बदलती जीवनशैली जिम्मेदार है। खानपान, बॉडी बिल्डिंग और शरीर को सुगठित करने या सुडौल करने के लिए स्टेरॉएड्स का इस्तेमाल, घंटों एक ही पोजीशन में बैठे रहने, ज्यादा तनाव लेने, की वजह से पीसीओडी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इन सब का एक परिणाम ये है कि महिलाओं में पुरुष हॉर्मोन जैसे एंड्रोजेन और टेस्टेस्टेरॉन बढ़ने लगते हैं।
अगर किसी लड़की के चेहरे पर बहुत अधिक बाल हैं तो सबसे पहले उसका कारण जाने की कोशिश की जानी चाहिए। अगर वजह हॉर्मोन्स हैं तो लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत होती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में दवा लेने की जरूरत पड़ती है ही।
कई बार पीरियड्स नियमित न होने की वजह के चलते भी चेहरे पर बाल आने लगते हैं। इसके लिए सही लाइफस्टाइल और हारमोंन्स का संतुलन बेहद जरूरी है। किशोरावस्था में लड़कियों के लिए बेहद जरूरी हो जाता है कि उनका हारमोन्स संतुलन में रहे ताकि इस परेशानी से दूर रहा जा सके। जहां तक जेनेटिक असर की बात है तो लेजर तकनीक का सहारा लेकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।