डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और प्रोजेक्ट हेड सुदीप नाग ने इस बेहद कारगर अविष्कार की जानकारी देते हुए बताया कि छात्रों ने अपने प्रोफेसरों की मदद से एक छोटे से सिक्के के आकार की इलेक्ट्रॉनिक चिप बनाई है। इस चिप का इस्तेमाल कृत्रिम अंगों को लगातार ऊर्जा देने में किया जाएगा। इसकी मदद से बॉडी में न्यूरल कनेक्टिविटी की समस्या का समाधान किया जा सकेगा जिसे अब तक मेडिकल साइंस भी नहीं दूर कर पाई है। यानी अब गंभीर बीमारियों के लिए बार बार सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
फिलहाल के दौर में मरीज के लिए इम्प्लांट्स स्टेंडर्ड पेसमेकर की बैटरी लाइफ लिमिटेड होने के कारण हर 5 से 10 साल में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस वायरलेस चिप की मदद से लगातार एनर्जी की सप्लाई जारी की जा सकेगी। साथ ही इसकी मदद से इम्प्लांट्स का जिंदा रहने का टाइम पीरियड भी बढ़ाया जा सकता है। इससे इंप्लांट्स को बदलने के लिए बार बार सरजरी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
डाक्टरों के अनुसार नए दौर में इस चिप का उपयोग ब्लाइंडनेस, लकवा, सेंसरी मोटर डिसफंक्शन, डायमेंशिया, पार्किंसन ट्यूमर, मिर्गी के दौरे से निपटने के लिए किया जाएगा। सुदीप नाग का कहना है कि यह चिप मरीजों और डाक्टरों के लिए काफी विश्वसनीय साबित होगी और इसकी कीमत भी इतनी रखी जाएगी कि आम और गरीब आदमी भी इसका उपयोग करके स्वस्थ हो सके।