एकेडमी के अनुसार, यह पद्धति जैवरसायन विज्ञान को एक नए युग में ले गई है। स्विटजरलैंड के लौसान्ना विश्वविद्यालय से जुड़े डुबोचेट, न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय के फ्रैंक और ब्रिटेन के एमआरसी लैबोरेटरी ऑफ मॉलीक्यूलर बायोलॉजी से जुड़े हेंडर्सन ने बायोमॉलीक्यूल्स की 3डी इमेजिंग का मार्ग प्रशस्त किया है।
इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप्स को लंबे समय तक केवल मृत पदार्थों के लिए अनुरूप माना जाता था, क्योंकि शक्तिशाली इलेक्ट्रॉनिक किरण जैविक पदार्थों को बर्बाद कर देती है। हेंडरसन ने हालांकि 1990 में इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप का प्रयोग कर आणविक संरचना के प्रोटीन का थ्री डी इमेज लेने में सफलता पाई थी।
फ्रैंक ने इमेज प्रोसेसिंग प्रक्रिया विकसित की, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप के 2डी इमेज को विश£ेषित कर 3डी आकार दिया जा सकता था। वहीं डुबोचेट ने इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोपी में पानी की प्रक्रिया को जोड़ दिया। पानी इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप के निर्वात में भाप बनके उड़ गया, जिससे बायोमॉलीक्यूल्स समाप्त हो गया।
1980 के शुरुआत में डुबोचेट ने पानी को विट्रीफायिंग करने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने पानी को इतनी तेजी से ठंडा कर दिखाया कि यह ठोस अवस्था में बदल गया। इससे निर्वात में भी बायोमॉलीक्यूल्स को अपने प्राकृतिक आकार में रहने में मदद मिली। इन सब खोजों के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से हर प्रकार से काम लिया जा सकता है। रिसर्चर अब किसी बायोमॉलीक्यूल्स के 3डी आकार को आसानी से देख सकते हैं।
अमरीका के तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार
लंदन। तीन अमरीकी वैज्ञानिकों को फिजियोलोजी या चिकित्सा के क्षेत्र में 2017 का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इन लोगों को जैवचक्रीय आवर्तन बाइलोजिकल रिद्म) पर नियंत्रण के लिए अणु तंत्र की खोज के संबध में यह पुरस्कार दिया गया है। पुरस्कार समिति ने सोमवार को एक बयान में यह जानकारी दी। वैज्ञानिक जेफ्री सी. हॉल, माइकल रोसबाश और माइकल वी. यंग को मानव जैव घड़ी (ह्यूमन बॉयलोजिकल क्लॉक) और इसके आंतरिक कार्य पर प्रकाश डालने के लिए यह पुरस्कार दिया गया।
नोबेल समिति ने कारोलिंस्का इंस्ट्टियूटेट में एक बयान जारी कर कहा, उनके खोज बताते हैं कि कैसे पौधे, जानवर और मनुष्य अपना जैविक लय अनुकूल बनाते हैं ताकि यह धरती के बदलाव के साथ सामंजस्य बैठा सके। बयान के अनुसार, फल मक्खियों को मॉडल जीव के रूप में प्रयोग करते हुए, वैज्ञानिकों ने एक जीन की खोज की है जो प्रतिदिन के सामान्य जैविक आवर्तन को नियंत्रित करता है।
उनकी खोज इस बात का खुलासा करती है कि यह जीन प्रोटीन को इनकोड करती है जो रात में कोशिका में एकत्रित होता है और दिन के दौरान इसका क्षरण हो जाता है। बयान के अनुसार, इस खोज से जैविक घड़ी के मुख्य क्रियाविधिक सिद्धांत स्थापित हुए हैं जिससे हमें सोने के पैटर्न, खाने के व्यवहार, हार्मोन बहाव, रक्तचाप और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
बयान के अनुसार हमारी जीवनशैली और बाहरी पर्यावरण की वजह से इस जैविक घड़ी में दीर्घकालिक अप्रबंधन रहने से कई लोगों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि इस वजह से विभिन्न समय खंडों (टाइम जोन) में यात्रा करने वाले यात्रियों को भी जेट लैग यानी अस्थायी भटकाव का सामना करना पड़ता है।
हेल का जन्म न्यूयार्क और रोसबाश का कंशास सिटी में हुआ और दोनों ने ब्राडियास विश्वविद्यालय में एकसाथ काम किया। वहीं मियामी में जन्मेे माइकल यंग ने रॉकफेलर विश्वविद्यालय में काम किया है।