scriptपरंपरागत पिज्जा भट्ठियां पहुंचा रहीं पर्यावरण का नुकसान | Traditional pizza furnaces affecting environment | Patrika News

परंपरागत पिज्जा भट्ठियां पहुंचा रहीं पर्यावरण का नुकसान

Published: Jun 21, 2016 10:02:00 pm

गौर करने वाली बात है कि पूरी दुनिया में फास्टफूड के लिए परंपरागत लकड़ी की भठ्ठियों का प्रयोग किया जाता है

Pizza Furnace

Pizza Furnace

लंदन। परंपरागत तंदूर भट्ठियों में पकाया गया पिज्जा भले ही अधिक लजीज लगता हो, लेकिन यह पर्यावरण के लिए बिल्कुल सही नहीं है। लकड़ी और कोयले की परंपरागत भट्ठियों से होने वाला प्रदूषण वातावरण को जहरीला बना रहा है। इसका खुलासा एक नए रिसर्च से हुआ है।पर्यावरण विशेषज्ञों ने सूरे विश्वविद्यालय में 7 देशों का अध्ययन किया।

अध्ययन टीम का नेतृत्व करने वाले प्रशांत कुमार के अनुसार, उनकी टीम का उद्देश्य प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ऐसे स्ेतों की आेर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, जिन्हें सामान्य रूप से दरकिनार कर दिया जाता है। विशेषज्ञों ने पाया कि जिन शहरों में वाहनों में जीवाश्म र्इंधन प्रतिबंधित या सीमित कर दिया गया, वहां भी प्रदूषण में अंतर नहीं आया। इसके पीछे परंपरागत रूप से होटलों में ट्रेंडी पिज्जा ओवन जैसी चीजें मुख्य वजहें थीं।

गौर करने वाली बात है कि पूरी दुनिया में फास्टफूड के लिए परंपरागत लकड़ी की भठ्ठियों का प्रयोग किया जाता है। कई सारे रेस्टोरेंट तो खुलेआम इस बात का प्रचार करते हैं। लकड़ी का धुआं हवा में जाता है तो एक रासायनिक अभिक्रिया होती है। इससे एक दूसरे प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न होता है। जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है। यह समस्या ब्राजील के साउलोपाउलो जैसे शहरों में भी देखी गई।जबकि यह दुनिया का एकमात्र शहर है जहां वाहनों में बायो फ्यूल का प्रयोग होता है। साउलोपाउलो में प्रतिदिन करीब एक लाख पिज्जा खाया और ले जाया जाता है।

अमेजन के वर्षा वनों पर भी खतरा
डॉ. प्रशांत के अनुसार इन पिज्जा और स्टिक हाउसों की वजह से अमेजन के विश्वप्रसिद्ध वर्षा वन भी प्रभावित हो रहे हैं। हर साल 7.5 हेक्टेयर यूकेलिप्टस के वन इन भठ्ठियों के हवाले कर दिए जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार हर साल 307000 टन लकड़ी पिज्जा हाउसों में जला दी जाती है। साउलो पाउलो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और शोध की सह लेखक मारिया डि फातिमा के अनुसार, बड़ी संख्या में यात्री वाहन और डीजल ट्रकों से होने वाल उत्सर्जन तो एक बड़ा कारक तो है ही, परंपरागत भठ्ठियों और सीजनल चीनी मिलों को नहीं भूलना चाहिए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो