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साइंस मैगजीन नेचर सस्टेनेबिलिटी (study in Nature Sustainability) में प्रकाशित एक रिसर्च में कहा गया है कि प्राकृतिक जंगलों की तुलना में पौधरोपण अभियान में लगाए गए पौधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये जैव-विविधता को खत्म कर रहे हैं। स्टड़ी के मुताबिक जब जंगल उगते हैं तो वो कार्बन डाईऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों (greenhouse gas) को कम करते हैं। क्लाइमेट चेंज के साथ अधिक मात्रा में निकल रहे कार्बन सिंकरोकते हैं लेकिन पौधरोपण के मामले में उलटा हो रहा है।
Indiaspend में छपी खबर के मुताबिक वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ( World Economic Forum) दुनिया में जहां भी जंगल कम हुए हैं वहां पर 1 लाख करोड़ पौधे लगाने की योजना तैयार की है। इसके तहत 2030 तक दुनिया भर के 350 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर पौधरोपण (Tree Plantations ) करना है।
लेकिन राने जंगलों को बचाने के बजाय इस तरीके के पौधरोपण(Tree Plantations ) से पर्यावरण को और खतरा है। ये पौधरोपण के अभियान मोनोकल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं। मोनोकल्चर का मतलब एक ही तरह के पौधे लगाने की परंपरा। इससे ग्रीनहाउस गैस कम करने के बजाय बढ़ रहा है साथ ही जैव-विविधता खत्म हो रही है।
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स्टडी के मुताबिक इस तरह के पौधरोपण (Tree Plantations ) से फायदे की जगह नुकसान हो रहा है। और ये नुकसान भारत (India) के लिए सबसे खतरनाक है। स्टडी में बताया गया है कि भारत में अक्सर पौधरोपण अभियान चलता है। लाखों-करोड़ों पौधे मोनोकल्चर के तहत लगाए जाते हैं. इससे लोगों द्वारा जमा किया टैक्स का पैसा बर्बाद हो रहा है।
बता दें भारत सरकार की नीतियों के मुताबिक विभिन्न राज्य सरकारें उद्योंगों से पैसे लेकर पौधरोपण कराती हैं और इसमें एक ही किस्म के पौधे लगाए जाते हैं।