अजब-गजब: अब गणित बताएगा खोजे गए डायनासोरों के जीवाश्म में नर और मादा कौन
करोड़ों साल पहले धरती पर विचरने वाले डायनासोर के जीवाश्म ही उनके बारे में जानने का एकमात्र विकल्प हैं। लेकिन इन जीवाश्मों के अध्ययन के बाद भी यह पता लगा पाना बहुत मुश्किल है कि यह किसी मादा का कंकाल है या नर का। उनके लिंग, आकार, उम्र और वे कैसे दिखाई देते होंगे इनके बारे में जानने के लिए अब वैज्ञानिक एक नए तरह की गणितीय विश्लेषण का सहारा लेंगे जो जीवाश्मों के डेटासेट में Gender संबंधी भिन्नता का अनुमान लगा सकता है।
अजब-गजब: अब गणित बताएगा खोजे गए डायनासोरों के जीवाश्म में नर और मादा कौन
प्रकृति ने नर और मादा को अलग-अलग पहचान देने के लिए उनमें कुछ खास विशेषताएं जोड़ी हैं जो उन्हें अपने साथी से भिन्नल बनाता है। जैसे नर शरों में अयाल (गर्दन के चारों ओर घने बालों का घेरा), नर मोरों के 6 फीट तक लंबे मोरपंख होते हैं और ऐसे ही नर बाज या चील अपने साथी की तुलना में आकार में बड़े होते हैं। लेकिन अगर इन जीव-जंतुओं के केवल अवशेष और जीवाश्म से इनकी विशिष्ठताओं का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। कुछ ऐसी ही समस्या का सामना डायनासोर का पता लगाने वाले ‘पेलियोन्टोलॉजिस्ट’ (जीवाश्म खोजी) को भी करना पड़ता है। दुनियाभर में मिले डायनासोर के अवशेषों से यह पता लगा पाना बहुत मुश्किल है कि अलग-अलग विशेषताओं वाले ये डायनासोर एक ही प्रजाति के अलग-अलग उम्र, आकार, रंग और कद-काठी के नर और मादा थे, या ये एक जैसे ही थे जिनमें कोई Gender अंतर नहीं होता था। नर और मादा के बीच अंतर न कर पाने की इसी समस्या के कारण दुनियाभर में डायनासोर के अवशेषों एक बड़ा हिस्सा अब तक अपने निर्णायक दौर में नहीं पहुंच सका है। लेकिन अब जल्द ही इस रहस्य से भी पर्दा हट जाएगा। दरअसल, हाल ही एक शोध में वैज्ञानिकों ने एक अलग तरह के सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर जीवाश्मों के डेटासेट में Gender संबंधी भिन्नता का अनुमान लगा सकते हैं।
शिकागो के फील्ड म्यूजियम के एक शोधकर्ता जीवविज्ञानी इवान सिट्टा के लिनियन जीव विज्ञान जर्नल में प्रकाशित अपने शोध में कहते हैं कि यह सांख्यिकीय विश्लेषण दरअसल, जीवाश्मों को देखने का एक नया तरीका है। उनका कहना है कि धरती पर विचरने वाले डायनासोर की तुलना में उड़ सकने वाले डायनासोर में नर और मादा के बीच काफी भिन्नताएं थीं। डायनासोर के करीबी रिश्तेदारों मगरमच्छों में भी नर-मादा के अलग-अलग गुण नजर आते हैं जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘सेक्सुअल डाइमोर्फिज्म’ नजर आता है। लेकिन एक ही प्रजाति के जीवों में सभी अंतर उनके Gender से जुड़े हुए नहीं होते। जैसे मनुष्यों में औसत ऊंचाई Gender से संबंधित है आंखों और बालों का रंग पुरुषों बनाम महिलाओं में बहुत ज्यादा अंतर नहीं करते। तो क्या बड़े सींगो और नुकीले शंकुओं वाले डायनासोर नर और विशाल आकार के डायनासोर मादा थे? इवान का कहना है कि शायद ऐसा नहीं था।
वैज्ञानिकों ने सांख्यिकीय के एक खास मेथड ‘सिगनिफिकेंस टेस्टिंग’ और ‘इफेक्ट साइज स्टेटिक्स’ का उपयोग कर दिए गए डेटा सेट का महत्त्व परीक्षण कर इस अंतर को समझने की कोशिश की है। इसमें सभी डेटा बिंदुओं को एक जगह रखकर इस संभावना की गणना की जाती है कि परिणाम बिल्कुल वास्तविकता के करीब हों। ‘इफेक्ट साइज स्टेटिक्स’ छोटे डेटज्ञ सेट में भी Gender निर्धारित करने में सटीक विधि है। जब सिट्टा और उनके सहयोगियों ने इस प्रोग्राम को कम्प्यूटर पर डायनासोर के जीवाश्मों के माप को अपलोड किया तो प्रोग्राम ने डेटासेट में आकार, जीवाश्म के घनत्त्व और ‘सेक्सुअल डाइमोर्फिज्म’ का विश्लेषण किया। इससे वे एक सटीक अनुमान लगा सकते थे कि जीवाश्म का संभावित Gender क्या हो सकता था।
उदाहरण के लिएए सिट्टा और उनके सहयोगियों ने पाया कि मायासोरस डायनासोर के वयस्क जीवाश्म के नमूने आकार में बहुत भिन्न होते हैंए और विश्लेषण बताते हैं कि ये अन्य डायनासोर प्रजातियों में देखे गए मतभेदों की तुलना में यौन भिन्नता के अनुरूप होने की अधिक संभावना रखते है। लेकिन मौजूदा आंकड़ों के अनुसार एक Gender के डायनासोर अपने साथी डायनासोर की तुलना में करीब 45 फीसदी अधिक बड़े होते थे। लेकिन वे यह नहीं बता पाए कि बड़े आकार के डायनासोर नर होते थे या मादा।