गंध को याद न रख पाना या इस शक्ति का कमजोर पडऩा, अल्जाइमर बीमारी की शुरुआती लक्षण के तौर पर हो सकता है।
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में 183 लोगों पर किये गए शोध के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी गंध को याद न रख पाना या इस शक्ति का कमजोर पडऩा, अल्जाइमर बीमारी की शुरुआती लक्षण के तौर पर हो सकता है। शोध की मुख्य जांचकर्ता डॉक्टर मार्क एल्बर्स के मुताबिक गंध को याद करने की शक्ति से इस बीमारी का काफी पहले पता लगाया जा सकता है। बता दें कि मस्तिष्क को पूरी तरह बीमार कर देने वाली इस लाइलाज बीमारी की जांच में यह खोज अहम साबित होगी। बता दें कि अभी तक यह माना जाता है कि अल्जाइमर का पता 50 या 60 साल के बाद ही चलता है और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
याद्दाश्त जाना नहीं है पहला संकेत
डॉ एल्बर्स का दावा है कि अल्जाइमर का पहला संकेत याद्दाश्त जाना नहीं है। याद्दाश्त जाना या भुल्लकड़ हो जाना तो काफी बाद सामने आने वाले संकेत हैं। उनका दावा है कि गंध को याद करने की शक्ति के आधार पर इस दिमागी बीमारी का काफी पहले पता लगाया जा सकता है। मेडिकल साइंस को शोध के बाद इस बात के साफ संकेत मिल चुके हैं कि याद्दाश्त कमजोर पडऩे से 10 साल पहले ही अल्जाइमर की शुरुआत हो चुकी होती है।
अल्जाइमर को जानने के लिये कदम
यह पहला मौका है जब गंध के सहारे अल्जाइमर को जानने की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने शोध में शामिल होने वाले लोगों के सामने मेन्थॉल, लौंग, चमड़ा, स्ट्रॉबेरी, लाइलक फूल, अनानास, धुआं, साबुन, अंगूर और नींबू की गंध पेश की। हर गंध को करीब दो सैकेंड तक उन्हें सुंघाया गया। फिर उनसे पूछा गया कि क्या वह इन गंधों को पहचानते हैं। फिर उनसे गंध में शुमार चार चीजों के नाम पूछे गए। इसके बाद गंध को लेकर उनकी स्मृति का परीक्षण किया गया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक सेहतमंद लोग, कई गंधों के बीच आराम से अंतर कर पा रहे थे। ब्रेन स्कैन से भी पता चला कि उनका मस्तिष्क बिल्कुल स्वस्थ है। वहीं परीक्षण में गड़बड़ाने वालों का जब ब्रेन स्कैन किया गया तो मस्तिष्क के भीतर गंध का पता लगाने वाले एमिलॉयड प्लैक कम नजर आए। डॉ एल्बर्स की टीम अब इस परीक्षण को मान्य प्रक्रिया बनाना चाहती है। यदि यह टीम सफल हुई तो यह इस घातक बीमारी के प्रति एक अच्छा कदम होगा।