scriptगेमचेंजर साबित होगा भविष्य का ईंधन ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ | What is Green Hydrogen and its importance | Patrika News

गेमचेंजर साबित होगा भविष्य का ईंधन ‘ग्रीन हाइड्रोजन’

locationनई दिल्लीPublished: Feb 25, 2021 04:59:38 pm

– 2500 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है भारत ने हाइड्रोजन इकोनॉमी की ओर बढऩे के लिए- 11 ट्रिलियन डॉलर का निवेश चाहिए दुनिया की बिजली जरूरतों का चौथाई हिस्सा पूरा करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन से- 470 अरब यूरो के निवेश की बात की है यूरोपीय संघ ने स्वच्छ ऊर्जा योजना में- 700 गुना ज्यादा दबाव चाहिए ग्रीन हाइड्रोजन के भंडारण के लिए वायुमंडल के दबाव से

गेमचेंजर साबित होगा भविष्य का ईंधन 'ग्रीन हाइड्रोजन'

गेमचेंजर साबित होगा भविष्य का ईंधन ‘ग्रीन हाइड्रोजन’

नई दिल्ली। नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने दिल्ली से जयपुर के लिए हाइड्रोजन से चलने वाली बस को शुरू करने की बात कही है, उसके बाद से देश में इसके इस्तेमाल को लेकर बहस शुरू हो गई है। सवाल यही है कि आखिर यह है क्या और काम कैसे करती है। हालांकि ग्रीन हाइड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया भर में ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर होड़ शुरू हो चुकी है। देश में भी सरकार नेशनल हाइड्रोजन मिशन के तहत कुछ क्षेत्रों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल अनिवार्य करने पर विचार कर रही है।

यह है ग्रीन हाइड्रोजन-
ग्रीन हाइड्रोजन शक्तिशाली फ्यूल है, शून्य उत्सर्जन के साथ भारी मशीनों को चलाने में सहायक होगा, जो सौर और पवन ऊर्जा से नहीं चल पाती हैं। यह कार्बन मुक्त ईंधन पानी से तैयार किया जाएगा। इसके लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों से तैयार बिजली से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अणुओं को अलग किया जाएगा। यह आम ईंधन के मुकाबले तीन गुना तक ऊर्जा देता है।

ग्रीन हाइड्रोजन सिटी: सऊदी अरब के रेगिस्तान के छोर पर लाल सागर के किनारे नया शहर ‘निओम’ बसने वाला है। 500 अरब डॉलर की लागत से बन रहे शहर में उडऩे वाली कारें होंगी। ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन होगा।

भारतीय वैज्ञानिक भी नहीं पीछे-
आइआइटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने बहुत कम लागत में पानी से हाइड्रोजन ईंधन को अलग करने की तकनीक खोज निकाली है। आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स की एक टीम ने हाइड्रोजन प्रोडक्शन पायलट प्लांट में ईंधन बनाकर तैयार कर लिया है। वहीं, वाराणसी स्थित आइआइटी-बीएचयू में सेरामिक इंजीनयरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह ने फसलों के अवशेष (पराली-पुआल, गेहूं, गन्ने का छिलका और काष्ठ अवशेष आदि) से दुनिया का सबसे शुद्ध हाइड्रोजन ईंधन बनाया है।

फायदे-
जीरो कार्बन फुटप्रिंट: ग्रीन हाइड्रोजन से जीरो कार्बन उत्सर्जन होता है। इससे प्रदूषण और ग्लोबन वार्मिंग जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी।
स्टोरेज: इसे टैंक में स्टोरेज किया जा सकता है। ऐसे में वाहनों के लिए यह अत्यंत उपयोगी साबित होगी।
हल्की: यह लीथियम बैटरी की तुलना में बेहद हल्की है। लम्बी दूरी के वाहन अधिक मात्रा में इसे ले जा सकते हैं। साथ ही इसे कम समय में रिफ्यूल किया जा सकता है।

ये हैं नुकसान-
सुरक्षा: पहली परेशानी सुरक्षा की है। अत्यधिक ज्वलनशील होने की वजह से हाइड्रोजन ‘अत्यधिक खतरनाक’ है। इससे चलने वाले किसी भी वाहन को सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
आपूर्ति-भंडारण: ज्वलनशीलता और बहुत कम ताप पर रखे जाने की मजबूरी के चलते इसकी सेफ सप्लाई और भंडारण आज भी एक मुश्किल काम बना हुआ है।
लागत: इसके अलावा उत्पादन लागत का सवाल भी है। पेट्रो पदार्थों की तुलना में हाइड्रोजन की प्रोडक्शन कॉस्ट भी अभी काफी ज्यादा है।

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