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मानव V/s मशीन या मशीनी मानव!

Published: Jul 03, 2016 04:54:00 pm

2016 को आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस (एआई) यानी कृत्रिम बुद्धिमता का वर्ष घोषित किया गया है

mechanised robot

mechanised robot

इंसानी दिमाग अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। हम बेहतर कल के लिए बदलाव ला रहे हैं। 2016 को आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस (एआई) यानी कृत्रिम बुद्धिमता का वर्ष घोषित किया गया है। मशीनों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। संवाद के लिए हम स्मार्टफोन पर निर्भर हैं।

जरा सोचिए, आपको कितने परिचितों के नंबर याद हैं। बामुश्किल कुछ। बाकी के लिए आप स्मार्टफोन की फोनबुक पर निर्भर हैं। ये छोटा उदाहरण है कृत्रिम बुद्धिमता का। हम ऐसी मशीनें बना रहे हैं जो हमारा काम आसान और बेहतर कर रही हैं। ये मशीनें और रोबोट आज तो हमारे नियंत्रण में हैं, लेकिन कल…। सतर्कता जरूरी है। मानव बनाम मशीन नहीं मानव से मशीन होनी चाहिए। नहीं तो भविष्य में होंगे मशीनी मानव…

संदेह के बादल जल्द ही दूर होंगे
रोबोटिक्स का विषय कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों के वैज्ञानिकों से ही संबंधित नहीं है। 21 वीं शताब्दी में तकनीक के विकास के साथ बच्चों को भी इस बारे में शुरू से बताना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (आईए) से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर रोबोटिक्स कंपनी की संस्थापक अदिति प्रसाद से बातचीत के मुख्य अंश….

रोबोटिक्स के प्रति भारत में क्या स्थिति है?
विकसित देशों जैसे अमरीका, जापान वगैरह में बच्चों को रोबोटिक्स के प्रति जागरूकता के लिए स्कूली स्तर पर ही कई कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। अब भारत में भी रोबोटिक्स के प्रति बच्चों में रुझान काफी हद तक बढ़ रहा है। बच्चे अनूठे ‘फीरो’ प्रोग्राम के जरिये इस विद्या के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

एआई के बारे में कई प्रकार के संदेह भी जताए जाते हैं?

मानव सदियों पहले से नई तकनीक का विकास करता रहा है। इनमें विमानों से लेकर कंप्यूटर तक शामिल हैं। तकनीक को सुरक्षित और लाभकारी भी बनया गया है। मैं मानती हूं कि आईए भी इसी कड़ी में है। जैसा मार्क जकरबर्ग कहते हैं कि 18 वीं शताब्दी में विमान की कल्पना के साथ इसके क्रैश होने की आशंका भी जताई गई थीं, लेकिन मानव ने आखिरकार विमान बनाया और इसे सुरक्षित करने की तकनीक भी खोजी। अगर मानव सुरक्षा की बात ही सोचता तो कभी विमान नहीं बना पाता।

क्या एआई के प्रति और जागरूकता जरूरी है?
किसी भी नई तकनीक के प्रति लोगों में संदेह का भाव होना स्वाभाविक है।

रोबोटिक्स का उद्देश्य शिक्षा में और अधिक संवाद पैदा करना है। रोबोट शिक्षा में मानवीय उपस्थिति को खत्म नहीं कर सकते हैं। टीचर की भूमिका कायम रहेगी।
– अदिति प्रसाद, रोबोटिक्स एलएस
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