देश की पहली महिला जो चुनी गईं रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन की फेलो इस कारण पीने के पानी का भारी संकट झेलना पड़ सकता है। साथ ही समुद्र ( sea ) के पानी का स्तर बढ़ने के साथ मौसम ( monsoon ) चक्र में परिवर्तन हो सकता है।
तेजी से हो रहा है उत्सर्जन बताया जा रहा है कि यह अध्ययन ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर’ यानी आईयूसीएन ने किया है। हेरिटेज ग्लेशियर्स पर किए गए अध्ययन को दुनिया का पहला शोध माना जा रहा है।
परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा नया तरीका, बस माता-पिता को रखना होगा इस बात का ध्यान वैज्ञानिकों की मानें तो स्विट्जरलैंड के मशहूर ग्रोसर एल्चेस्टर और ग्रीनलैंड के जैकबशावन आईब्रेस भी खतरे के दायरे में आते हैं। अध्ययन करने में ग्लोबल ग्लेशियर इन्वेंट्री डेटा के अलावा कंप्यूटर ( Computer ) मॉडल की भी मदद ली गई। इसकी मदद वर्तमान में होने वाली स्थितियों का आकलन किया गया।
कोशिश करने पर भी नहीं बच पायेगें आठ ग्लेशियर वैज्ञानिकों की माने तो तापमान में इसी तरह वृद्धि और कार्बन का उत्सर्जन होता रहा तो आने वाले समय तक 46 ग्लेशियरों में से केवल 21 हेरिटेज ही रह जाएंगे। अगर इन्हें बचाने के लिए कोशिश भी करें तो भी इन आठ ग्लेशियरों को को नहीं बचाया जा सकता। जब इस बारे में शोधकर्ता वैज्ञानिक पीटर शैडी ने बताया कि ‘इन ग्लेशियरों को खोना किसी त्रासदी से कम नहीं होगा। इसका सीधा असर पेयजल के संसाधनों पर पड़ेगा। साथ ही जल स्तर में बढ़ने के अलावा मौसम में भी बदलाव होंगे, जिसका सीधा असर इंसानों पर पड़ेगा।