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संकट में महिलाओं के काम आएगा ‘ब्रूच’

Published: Dec 08, 2015 10:45:00 am

ओडिशा के पुरी की घनश्याम हेमलता विद्या मंदिर के विद्यार्थियों-प्रतिक्षय नायक और तापसी बिसल ने लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षात्मक ब्रूच विकसित किया है

Bruc aap

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नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी की घनश्याम हेमलता विद्या मंदिर के विद्यार्थियों-प्रतिक्षय नायक और तापसी बिसल ने लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षात्मक ब्रूच विकसित किया है। संकट के समय में नजदीकी पुलिस स्टेशन फोन करने के लिए वे इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। आईआईटी-दिल्ली के विज्ञान मेले में प्रदर्शित इस डिवाइस में एक माइक्रोप्रोसेसर के साथ एक मिनी कैमरा, वीडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस और जीपीएस कॉल प्रणाली संलग्न हैं। ब्रूच की सतह पर दो छिपे हुए बटन हैं, पहला बटन ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए मिनी कैमरा को एक्टिवेट करने के लिए है और दूसरा बटन चयनित मोबाइल नंबर के लिए ऑटो कॉल को फॉर्वर्ड करने के लिए एक्टिवेट करने के लिए है। माइक्रोप्रोसेसर के साथ एक मेमोरी चिप साक्ष्य को दर्ज करता है, जबकि ब्रूच के पिछले हिस्से में एक यूएसबी पोर्ट सिस्टम दर्ज आंकड़ों को ब्रूच से कंप्यूटर में भेजता है।

प्रतिक्षय ने कहा, यदि कोई महिला या लड़की खुद को मुश्किल स्थिति में पाती है, तो वह कैमरा को एक्टिवेट करने के लिए पहले नंबर के बटन को दबा सकती है। स्थिति के खतरनाक हो जाने पर, वह दूसरे बटन (जीपीएस सिस्टम) को दबा सकती है जो सटीक स्थान को दिखा कर मदद के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन फोन करेगा। ओडि़शा की लड़कियों ने कहा, दिल्ली में भीषण निर्भया कांड की स्मृति हमें अब भी परेशान करती है। इसलिए हमने इस तरह के एक उपकरण विकसित करने का फैसला लिया।

रेल पर नजर रखेगा यह उपकरण
क्लेरेंस हाई स्कूल (बेंगलुरू) के ग्यारहवीं कक्षा के छात्र साद नासिर ने ऐसा डिवाइस विकसित किया है, जिसे रेल पर नजर रखने के लिए एक लोकोमोटिव पर रखा जा सकता है। उसने कहा, भारत का रेल नेटवर्क 65,000 किलोमीटर से अधिक है और ट्रैक के रखरखाव और मरम्मत पर सालाना 9,100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जाता है। वर्तमान उपकरणों को रेल और ट्रैक की निगरानी के लिए ट्रैक के उस विशेष खंड को बंद करने की आवश्यकता होती है जिससे मूल्यवान ट्रैक क्षमता बर्बाद होती है।

साद नासिर के द्वारा विकसित डिवाइस में रेल संबंधी टूट-फूट को मापने के लिए विभिन्न सेंसर लगे हैं। इन सेंसरों के परिणामों के संयोजन से, सटीकता में सुधार करना संभव हो जाएगा। उसके बाद डेटा क्लाउड को भेजा जा सकता है जहां विभिन्न उपकरणों की रीडिंग के संयोजन से सटीकता में सुधार किया जा सकता है। यह डिवाइस अभी रेलवे प्रौद्योगिकी मिशन के विचाराधीन है। यह डिवाइस काफी संख्या में डेटा उपलब्ध कराता है जो रेल ऑपरेटरों को रेल संबंधी टूट-फूट के बारे में बेहतर भविष्यवाणी करने, रखरखाव की लागत को कम करने और इंजनों की सुरक्षा बढ़ाने में मदद कर सकते हंै।

मधुमेह रोगियों के लिए कारगर उपकरण
केरल के एर्नाकुल में सेंट जोसेफ ईएमएचएसएस की एक छात्रा किरुथिका चंद्रशेखरन ने एक एक अभिनव सॉफ्टवेयर ओ एमईडी विकसित किया है। यह दर्द रहित, नॉन इनवेसिव ग्लूकोज मॉनिटरिंग उपकरण है, जो मधुमेह रोगियों में हृदय और गुर्दे की बीमारियों की सही पहचान करता है।

उन्होंने कहा, एक मधुमेह रोगी ग्लूकोमीटर रीडिंग पर एक साल में औसतन 32,000 रुपये खर्च करता है। मैंने इसके लिए एक पीएच शोध पत्र तैयार किया है जिससे इसमें सिर्फ 25 पैसे खर्च करने होंगे। इसके अलावा, मैंने एंड्रॉयड और क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग कर एक स्वचालित उपकरण बनाया है, जो बीमारी के होने या बीमारी की प्रारंभिक अवस्था का पता लगा सकता है।

देश के विभिन्न हिस्सों के विद्यालय के प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा विकसित ये नवाचार उन 100 परियोजनाओं में शामिल हैं, जिन्हें आईआईटी दिल्ली में 4-8 दिसंबर तक आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ) के तहत आईआरआईएस (इनीशिएटिव फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन इन साइंस) राष्ट्रीय विज्ञान मेले में प्रदर्शित किया गया है।
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