यूनिवर्सिटी ऑफ मेल्बर्न का के तत्वाधान में हाल ही में एक रिसर्च की गई थी। रिसर्च के बाद यह पाया गया कि ऐल्कॉहॉल बेस्ड हैंड जेल्स और सैनिटाइजर्स सामान्य बैक्टीरिया को सुपरबग में तब्दील कर रहे हैं जो बेहद शक्तिशाली ऐंटिबायॉटिक के प्रति भी प्रतिरोधी हो गए हैं। इसका मतलब ये हुआ कि हैंड सेनेटाइजर उन बेक्टीरियों को शक्तिशाली बना रहे हैं जो आपके शरीर के लिए बेहद खतरनाक है।
रिसर्च कहती है कि आम लोगों में सोच है कि सैनिटाइजर की एक बूंद हथेली के सभी कीटाणुओं को मार गिराने में सक्षम होती है। दरअसल ये अवधारणा गलत है। ज्यादातर सैनिटाइजर्स 60 फीसदी ऐल्कॉहॉल के साथ आते हैं जो कि कीटाणुओं को पूरी तरह से मारने के लिए पर्याप्त नहीं होता। रिसर्च कहती है कि हैंड सेनेटाइजर के खतरे को देखते हुए लोगों को साबुन का इस्तेमाल करना ज्यादा कारगर है इसका मतलब ये है कि साबुन से हाथ धोना कहीं ज्यादा कारगर उपाय है।
ये भी पढ़ें-
नया Helmet खरीदने जा रहे हैं तो इन चीजों पर जरूर दें ध्यान वरना मुसीबत में पड़ सकते हैं आप अगर आपके सैनिटाइजर में ऐल्कॉहॉल की कम मात्रा है, तो जाहिर तौर पर इसमें ट्राइक्लोसैन की मात्रा तयशुदा सीमा से ज्यादा होगी। आप शायद नहीं जानते होंगे कि ट्राइक्लोसैन एक पावरफुल ऐंटीबैक्टीरियल एजेंट है। इसका लगातार इस्तेमाल पारंपरिक ऐंटीबायॉटिक्स को आपके प्रति निष्प्रभावी बना देगा। यानी आपके शरीर के एंटीबायटिक्स जो रोगों से लड़ने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं, कमजोर हो जाएंगे। अगर आपको खांसी जुकाम जैसी संक्रामक बीमारियां भी होंगी तो ये एंटीबायटिक्स आपका बचाव नहीं कर पाएंगे।
इतना ही नहीं, इसके और भी शरीर पर कई गलत असर पड़ते हैं। हैंड सैनिटाइजर्स का लगातार इस्तेमाल त्वचा को खुरदुरा बना सकता है। इतना ही नहीं इसके चलते त्वचा से जुड़ी कई बीमारियां भी होने की आशंका बढ़ जाती है।
आपने पढ़ा होगा कि शरीर में बैड बैक्टीरिया के साथ साथ गुड बैक्टीरिया भी होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखते हैं लेकिन हैंड सैनिटाइजर् बैड बैक्टीरिया के साथ-साथ गुड बैक्टीरिया को भी मार डालता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है और आप बार बार बीमार होने लगते हैं।