यूथ4वर्क के मुख्य कार्रकारी अधिकारी रंचित जैन ने बताया, युवाओं की समस्या लगभग सभी देशों में एक जैसी ही है और हमारी कंपनी का हमेशा जोर इस बात पर रहा है कि युवाओं के मूल्यांकन के द्वारा इनका किस प्रकार हल किया जाए। किसी नौकरी के पाने के लिए बेरोजगारी एकमात्र मुद्दा नहीं है।
उन्होंने कहा, दुनिया भर में विभिन्न संस्कृति के युवाओं की बड़ी संख्या तक पहुंचने की पहल केवल तब ही की जा सकती है, जब हम उन तरीकों से उन तक पहुंचे, जिसमें वे बेहतर तरीके से हमारे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराए जाने वाले सेवाओं को समझते हैं और इसका एक तरीका उस भाषा में अपनी सेवाएं उपलब्ध कराना है, जिसे वे समझते हैं। इसलिए यूथ4वर्क अब हिंदी समेत तेलुगू, तमिल, बंगाली, पंजाबी, मराठी, उर्दू, मलयालय, कन्नड़, ओडिय़ा और गुजराती भाषाओं में भी लांच होने जा रहा है।
जैन ने कहा, मैक्सिको की कौशल आधारित कंपनी सेंट्रो नेटेक के साथ साझेदारी से हमें भारत के बाहर भी अपनी सेवाओं के विस्तार में मदद मिलेगी। हमारी वेबसाइट अब स्पैनिश, मंदारिन, अरबी, पोर्टगीज, रूसी, जर्मन, फ्रेंच, तुर्की, जापानी और इतालवी भाषाओं में भी उपलब्ध होगी।
‘कूलिंग’ घटाएगी बिजली के बिल
बेंगलूरु। क्या आपने कभी सोचा है कि आपके मकान में एयर कंडीशनर बिना बिजली के काम कर सकता है? मगर अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि हां, ऐसा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसा रेडिएटिव स्काई कूलिंग की तकनीक से संभव है। कूलिंग टूल एक नई कोटिंग सामग्री से विकसित किया गया है। शोध रिपोर्ट के प्रमुख सह-लेखक यानी मुंबई में जन्मे आस्वथ रमन ने कहा, रेडिएटिव स्काई कूलिंग हमारे वातावरण की प्राकृतिक संपत्ति का लाभ उठाती है। यदि आप गर्मी को अवरक्त विकिरण के रूप में किसी ठंडी चीज में डाल सकते हैं, जैसे कि बाहरी अंतरिक्ष तो आप बिजली के बिना किसी भी एक इमारत को ठंडा कर सकते हैं। इसके बाद यह पूरे परिवेश में वायु तापमान को शांत करता है और गैर-वाष्पीकरणीय रास्ता प्रदान करता है।
इस आविष्कार को एक अत्यंत पतली बहुस्तरित सामग्री से बनाया गया है। साथ ही इसको विकसित करने का श्रेय रमन और सह-कार्यकर्ता एली गोल्डस्टीन और शानुई फैन को जाता है। वर्ष 2014 में इसका पहला परीक्षण किया गया था। यह सामग्री, सिलिकॉन डाइऑक्साइड की सात परतों और सिल्वर की पतली परत के शीर्ष पर हैफनियम ऑक्साइड से बना है। यह एक ही समय में दो चीजें करती हैं।
यह एक इमारत के भीतर अदृश्य अवरक्त गर्मी को ठंडे बाहरी अंतरिक्ष में (एक गर्मी सिंक के रूप में उपयोग कर) तब्दील करती है, साथ ही सूरज की रोशनी जो इमारत को गर्म करती है, उसे प्रतिबिंबित करती है।
लेखकों के मुताबिक, सामग्री ‘रेडिएटर और एक उत्कृष्ट दर्पण’ के रूप में कार्य करती है और भवन को कम एयर कंडीशनिंग की स्थिति में अधिक ठंडा करती है। सामग्री की आंतरिक संरचना एक आवृत्ति पर अवरक्त किरणों को विकीर्ण करने के लिए तैयार की जाती है, जिससे उन्हें इमारत के पास हवा को गर्म किए बिना अंतरिक्ष में पहुंचा देती है।
रमन ने कहा, भारतीय इमारतों, सुपरमार्केट, शीत भंडारण सुविधाओं, डेटा केंद्र, कार्यालय भवन, मॉल और अन्य व्यावसायिक भवनों में हमारा तरल पदार्थ कूलिंग पैनल वाणिज्यिक रेफ्रिजरेशन में बड़ा प्रभावी हो सकता है। साथ ही, पूरी तरह से बिजली मुक्त। जहां कम ठंडा की जरूरत है, उन ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक उपयोग करने के लिए कम से कम दो तकनीकी समस्याएं हल होनी चाहिए। पहली, इंजीनियरों को सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि कोटिंग सामग्री में इमारत की गर्मी को कुशलतापूर्वक कैसे ले जाएं। इसके लिए वे एक पैनल बना सकते हैं।