ऐसे में सोशल डिस्टेंस के फॉर्मूला का सफल करने के लिए जरूरी है कि हम किसी बात से परेशान नहीं हों और पुलिस सभी जगह सख्ती न करके विशेष जगहों पर ही सख्ती दिखाए। बुधवार को किराना सामग्री को लेकर मच रही अफरा-तफरी को देख पत्रिका ने शहर के कुछ थोक, खेरीजे व्यापारी और मध्यम वर्गीय परिवारों से बात की। इस बातचीत से सामने आया कि खेरीज, थोक किराना दुकान और घर पर रखी खाद्य सामग्री को मिलाकर देखा जाए तो करीब 15 से 20 दिन शहर में आटा, दाल, तेल, मसाले, शक्कर आदि की कोई किल्लत नहीं आनी है। हां, इसके लिए यह भी जरूरी है कि 20 दिन से पहले शहर के थोक व्यापारियों को पर्याप्त सप्लाई मिले। यदि सप्लाई समय पर नहीं मिली तो खेरीज दुकानदार स्टॉक के अभाव में बंद हो जाएगी।
शहर में कैसे बीस दिन का राशन
शहर के थोक और खेरीज व्यापारियों ने बताया कि शहर में 60 व्यापारी डीलर्स का काम करते हैं और 15 होलसेलर हैं, करीब 400 किराने की खेरीज छोटी दुकानें हैं। डीलर्स के पास करीब 8 से 10 दिन का माल स्टॉक में रहता है। इसी प्रकार करीब 5 से 7 दिन का माल खेरीज दुकानदार स्टॉक में रखता है। हर मध्यमवर्गीय परिवार अपने घर में 10 से 15 दिन का राशन अतिरिक्त लेकर चलता है। इस हिसाब से करीब 20 दिन शहर में राशन की कोई दिक्कत नहीं आनी है। इस बीच यदि डीलर्स और होलसेलर को माल की सप्लाई मिल गई तो कोई परेशानी नहीं होगी। सीहोर में किराना इंदौर-भोपाल से आता है और दोनों जगह ही कफ्र्यू लगा है, ऐसे में प्रशासन को अभी से प्रयास शुरू करने होंगे, जिससे समय से पहले व्यापारियों को माल की डिलेवरी मिल जाए।