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तीन हजार के अटके चार करोड़ रुपए, तो बैंक व मंडी के चक्कर काटने को हुए मजबूर

locationसीहोरPublished: Mar 03, 2018 07:17:47 pm

भावांतर योजना में उपज बेचने के बाद भी खाते में नहीं आई राशि,राशि नहीं मिलने से किसानों के सामने खड़ा हुआ संकट…

farmers
सीहोर। संकट के मारे किसानों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिस भावांतर योजना का लाभ उनको मिलना था, उसने ही बैंक से लेकर मंडी कार्यालय के दर्जनों बार चक्कर काटने मजबूर कर दिया है।
जिले के तीन हजार से अधिक किसानों द्वारा उपज बेचने के बाद भी भाव के अंतर की राशि उनके खाते में में नहीं आई है। करीब चार करोड़ की राशि अटक गई है। यह कब मिलेगी इसका भी अफसर स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं। इससे लेनदेन नहीं कर पा रहे हैं तो परिवार चलाने की समस्या खड़ी हो गई है।
किसानों को उनकी उपज का भाव दिलाने पिछले साल से शासन ने भावांतर योजना चलाई। इसमें मॉडल रेट तय किया। इसके तहत किसानों को मंडी में उपज बेचने के बाद मॉडल रेट और भाव के अंतर के बीच की राशि किसानों को देना थी।
पिछले साल 52 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराकर खरीफ की उपज को कृषि उपज मंडी में लाकर बेचा था। इसमें कई किसानों के खाते में योजना की राशि आ गई, लेकिन दो महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी कई किसान इसके इंतजार में बैठे हैं।
किसानों ने बताया कि राशि खाते में आने की उम्मीद लिए कई सामान की उधारी में खरीदी कर ली थी। ज्यादा दिन बीतने के कारण दुकानदारों ने भी तकादा लगाना शुरू कर दिया है।
तीन हजार किसान योजना के लाभ से वंचित
जिलेभर के करीब 3 हजार 200 किसानों को अब तक योजना का लाभ नहीं मिला है। यह वह किसान है जिन्होंने अक्टूबर, नवंबर महीने में शुरूआत में ही योजना में मंडी में उपज तुला दी थी। उपज की शेष राशि तो मिल गई, लेकिन भाव के अंतर की राशि नहीं मिली है।
किसान तीन महीने से बैंक और मंडी के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मासूयी के अलावा कुछ हासिल नहीं हो रहा है। इसे देखते हुए कई ने तो जाना ही छोड़ दिया है।

इधर योजना में जिन किसानों को राशि मिली, उनमेें से भी कई का कहना है कि जितनी मिलना चाहिए थी, उतनी नहीं मिली है। उपज 1900 से 2900 रुपए क्विंटल तक नीलाम होने के बावजूद सिर्फ 150 से 250 रुपए प्रति क्विंटल के मान से राशि खाते में आई है। बता दे कि शासन ने 3050 रुपए मॉडल रेट तय किया था।
…तो घट सकता है उपज खरीदी का आंकड़ा
इस साल भी भावांतर में पंजीकृत किसानों से रबी सीजन उपज की खरीदी शुरू होने वाली है। ऐेसे में समझा जा सकता है कि किसानों ने उपज बेची तो उनके सामने क्या स्थिति बनेगी।
यही कारण है कि जिन किसानों को राशि नहीं मिली, वह मंडी में ही उपज बेचना मुनासिब समझ रहे हैं। वंचित किसानों को योजना का लाभ नहीं मिला तो इस बार भावांतर में खरीदी का आंकड़ा घट सकता है।
फैक्ट फाइल…
भावांतर में पंजीकृत किसान- 52 हजार 198
कितने को मिला लाभ- 48 हजार 995
कुल राशि मिली- 55 करोड़ 15 लाख 19 हजार
कितनों को नहीं मिली राशि- 3 हजार 203
कितनी अटकी राशि- 4 करोड़ 16 लाख रुपए
नोट- जानकारी मंडी प्रबंधन के अनुसार है।
नहीं आई राशि
पिछले नवंबर माह में 29 क्विंटल सोयाबीन की उपज सीहोर मंडी में बेची थी। अब तक भावांतर की राशि खाते में नहीं आई है। इससे परेशान हैं।
– इमरतलाल विश्वकर्मा, किसान आलमपुरा
कम आई राशि
80 क्विंटल उपज नीलामी के दौरान 2280 रुपए के भाव से बिकी थी। इसके बाद भी भावांतर में सिर्फ खाते में 250 के मान से राशि आई है। यह कम है।
– अब्दुल लतीफ, किसान गांव पाटनी
जानकारी देने तैयार नहीं
दिसंबर माह में 35 क्विंटल, दूसरी बार 25 क्विंटल 2870 के भाव से बेची थी। भावांतर की राशि खाते में नहीं आई है। कोई जानकारी देने तैयार नहीं है।
– अमर सिंह मेवाड़ा, किसान गांव झरखेड़ा
कर्जदार हो गए
भावांतर की राशि मिलने के चलते कृषि उपकरण खरीद लिए थे। राशि नहीं मिलने के कारण बेवजह कर्जदार हो गए। समझ नहीं आ रहा क्या करें।
– संतोष कुमार मालवीय, किसान गांव देहरी कलां

कुछ किसानों की राशि अटकी है। राशि के लिए हमारी तरफ से स्वीकृति भेजी गई है। मिलते ही किसानों के खाते में जारी कर दी जाएगी।
– करूणेश तिवारी, सचिव, कृषि उपज मंडी सीहोर

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