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पीएम आवास की गायब 450 फाइलें रात 8 बजे गुपचुप पहुंची नगर पालिका

locationसीहोरPublished: Aug 23, 2019 11:36:24 am

– दिन में तत्कालीन सीएमओ के खिलाफ एफआइआर के लिए लिखी गई नोटशीट…
– कुल 1335 फाइलें हैं गायब…
– पार्षदों की शिकायत पर पत्रिका ने उठाया था मामला…

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सीहोर। एक ओर जहां अब प्रधानमंत्री आवास योजना के अधिकार जिला सरकारों को दिए जाने की बात चल रही है। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में एक साल पहले गायब प्रधानमंत्री आवास योजना की 1335 फाइल में से 450 फाइल गुरुवार रात 8 बजे एक लोडिंग वाहन से नगर पालिका कार्यालय पहुंच गईं। रात को गुपचुप तरीके से आवास योजना की फाइलों से भरी बोरियों के नगर पालिका पहुंचते ही हड़कंप मच गया।
कुछ पार्षद प्रतिनिधियों ने नगर पालिका पहुंचकर फाइल लेकर पहुंचे नगर पालिका के कर्मचारी और बाहरी व्यक्तियों से सवाल जबाव किए। नेता प्रतिपक्ष रामप्रकाश चौधरी ने बताया कि यह फाइल पार्षदों की सक्रियता के बाद बुलाई गई हैं। उन्होंने बताया कि दिन में पार्षदों ने फाइल गायब होने को लेकर नपा के अफसरों से तत्कालीन सीएमओ ईशांक धाकड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए नोटशीट लिखवाई थी।
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तत्कालीन सीएमओ के खिलाफ एफआईआर की नोटशीट लिखते ही गायब फाइलों का रात 8 बजे नगर पालिका पहुंचना पूरे अमले की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। नगर पालिका फाइल बाहरी व्यक्ति लेकर पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि नपा में बाहरी व्यक्तियों से फाइल प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रभारी अखलेश नामदेव, कंप्यूटर ऑपरेटर अंकुर शर्मा और भृत्य भूरा से रिसीव की हैं।
नपा में फायल दो पार्षद प्रतिनिधि सफीक बाबा और आरिफ पहलवान की मौजूदगी में रखी गई हैं। पार्षद प्रतिनिधियों ने इस बात पर काफी विरोध दर्ज कराया है।

दो बोरों में भरकर पहुंचीं फाइल
नपा से गायब पीएम आवास की फाइल दो सफेद बोरों में पहुंची हैं। बताया जा रहा है कि इन बोरों में महज 450 फाइल हैं। इस हिसाब से अभी 885 फाइल और गायब हैं।
पार्षद प्रतिनिधियों ने फाइल लेकर पहुंचे व्यक्तियों से जब इस बात को लेकर सवाल-जबाव किए तो उन्होंने बताया कि उनके पास सिर्फ इतनी ही फाइल हैं। सवाल यह है कि शेष फाइल कहां है? फाइल नपा में रखते हुए पार्षद प्रतिनिधियों ने वीडियों भी बनाए हैं।
रात 8 बजे खोला गया सरकारी दफ्तर
नपा से प्रधानमंत्री आवास योजना की फाइल एक साल पहले गायब हुई थीं। यह फाइल इंदौर की एक कंपनी को ऑनलाइन डाटा एंट्री करने के लिए दी गई थीं।
बताया जा रहा है कि नपा ने भुगतान नहीं किया, जिसे लेकर फाइल गायब कर दी गई, लेकिन पार्षदों की तरफ से अब बड़ा सवाल यह उठाया जा रहा है कि फाइल कंपनी के पास थीं तो शिकायत होते ही दूसरे दिन सीहोर नगर पालिका कैसे पहुंच गई? फाइल लेकर रात को कंपनी के कर्मचारी सीहोर पहुंचे तो बिना स्थानीय अधिकारी और कर्मचारियों की सहमति के कार्यालय कैसे खुल गया?

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