वाहन चालकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। वह दो और चार पहिया वाहनों को सड़क पर तेज गति में दौड़ाकर स्वयं की जान जोखिम में डाल रहे हैं तो दूसरों के लिए भी खतरा पैदा करने में लगे हैं। लापरवाही पूर्वक चलाने से वाहन पलट रहे हैं तो दूसरे वाहनों से भी भिड़ रहे हंै। इसमें सबसे ज्यादा हादसे भोपाल इंदौर हाइवे पर हो रहे हैं। इस सड़क को भले ही फोरलेन बना दिया हो, लेकिन उसके बाद से ही इस पर दुर्घटनाओं का रिकार्ड तेजी से बढ़ा है। इसी प्रकार से आष्टा कन्नौद रोड, आष्टा शुजालपुर रोड पर भी हादसे हो रहे हैं। हाइवे पर हादसों का एक कारण सड़क पर बैठे मवेशी भी बन रहे हैं। पिछले दिनों बस पलटने का मामला सामने आया था, उसमें भी यही कारण प्राथमिक स्तर पर सामने आया था। इसी तरह से फोरलेन हाइवे पर सड़क किनारे या फिर सड़क पर खड़े वाहन से भी अक्सर दूसरे वाहन भिड़ जाते हैं। इससे भी हादसे हो जाते हैं। सरहदी से अमलाहा के बीच संचालित हो रहे ढाबे और होटल के सामने यह वाहन खड़े होते हुए दिखने को मिल जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पुलिस चैकिंग अभियान चलाकर चालकों पर जुर्माना कर उनसे अर्थदंड वसूलती है। इससे कुछ दिन तो स्थिति ठीक रहती है, लेकिन कु छ दिन बाद फिर वही स्थिति बन जाती है। इसके बाद भी इस तरफ गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जबकि परिवहन विभाग ने वाहनों की रफ्तार लिमिट तय कर रखी है। परिवहन विभाग के अनुसार बस की रफ्तार ८० किमी प्रति घंटा निर्धारित की है। इसी प्रकार से डंपर ६०, स्कूल बस ४०, क्रूजर ८०, लोडिंग मल्टी एक्सेल वाहन २५ किमी रफ्तार रखी है। इसमें कई बार इस रफ्तार से भी ज्यादा वाहन दौड़ते हुए दिख जाएंगे।
पुलिस व प्रशासन को डेंजर पाइंट को चिन्हित करना चाहिए। जहां पर ज्यादा घटनाएं घट रही है वहां पर इनको रोकने व्यवस्था की जाए। वाहन रफ्तार की लिमिट भी तय करना होगी। इससे अधिक कोई चलाता मिला तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो। वाहन चलाते समय यातायात नियमों का पालन कराया जाए। इसी तरह से खतरनाक स्थान पर रेडियम आदि भी लगाया जाएं। चालकों को भी समय पर समझाइश देकर वाहन स्लो गति से चलाने की सलाह दी जाए। इसके अलावा भी अन्य इंतजाम किए जाए।
इनका कहना है हमारी तरफ से लगातार तेज रफ्तार में वाहन चलाने पर कार्रवाई की जा रही है। बुधवार को ही फंदा टोल के पास एक बस का चालान काटा है। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
अनुराग शुक्ला, आरटीओ सीहोर