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पूर्व विधायक रमेश सक्सेना और उनके पुत्र शशांक सक्सेना पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज

locationसीहोरPublished: Oct 20, 2018 04:54:10 pm

Submitted by:

Amit Mishra

दशहरा उत्सव में मंच से किया था संबोधित, सीहोर कोतवाली ,श्यामपुर थाने में हुआ मामला दर्ज….

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चुनाव आयोग ने जारी किए निर्देश, कहा – सोशल मीडिया में विज्ञापन के लिए मीडिया प्रमाणन अनिवार्य

सीहोर@ कुलदीप सारस्वत की रिपोर्ट….

भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं पूर्व विधायक रमेश सक्सेना और उनके पुत्र शशांक सक्सेना पर चुनाव आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। मालूम हो की पूर्व विधायक रमेश सक्सेना दशहरा पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे और उन्होंने इस दौरान मंच से आमजन को संबोधित भी किया।

थाना कोतवाली से मिली जानकारी के मुताबिक दशहरा पर आयोजित आवासीय मैदान पर एक कार्यक्रम में पूर्व विधायक रमेश सक्सेना ने आचार संहिता को तोड़ते हुए मंच से जनसमूह को संबोधित किया था। इस मामले में चुनाव आयोग से मिले निर्देशो के परिपालन में पूर्व विधायक रमेश सक्सेना ओर सहकारी बैंक संचालक शशांक सक्सेना पर धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।

 

आचार संहिता के परिपालन में जिला निर्वाचन अधिकारी तरुण कुमार पिथोडे ने आदेश जारी किए थे,जिसमे उल्लेख किया गया था कि कोई भी राजनैतिक दल का पदाधिकारी आयोजन के दौरान न तो मंचासीन हो सकता है और न ही इन आयोजनों में मुख्य अतिथि बन सकता है।

क्या है आचार संहिता उल्लंघन….


आचार संहिता लागू होने के बाद प्रदेश में किसी नई योजना की घोषणा नहीं हो सकती। हालांकि कुछ मामलों में चुनाव आयोग से अनुमति लेने के बाद ऐसा हो सकता है।
वाहन, भवन, हेलिकॉप्टर आदि जैसी तमाम सरकारी चीजों का चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

उम्मीदवार और राजनीतिक दल को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से आर्डर लेना होगा।

चुनाव के दौरान प्रचार के लिए किसी भी दल को लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के नियमों का भी पालन करना जरूरी होता है।

कोई भी दल या उम्मीदार ऐसे भाषण या काम नहीं करेगा जिससे किसी विशेष समुदाय के बीच तनाव पैदा हो।

वोट पाने के लिए कोई भी दल या उम्मीदार किसी विशेष जाति या धर्म का सहारा नहीं लेगा और चुनाव के दौरान धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल नहीं होगा।

वोटरों को किसी भी तरह का लालच या रिश्वत नहीं दी जा सकती।

वोट पाने के लिए किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को लेकर निजी बयान नहीं दिए जा सकते, बेशक कामों की आलोचना की जा सकती है।

मतदान के दिन मतदान केंद्र से सौ मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार पर रोक और मतदान से एक दिन पहले किसी भी बैठक पर रोक।

सत्ताधारी पार्टी के लिए नियम….
चुनाव के दौरान कोई भी मंत्री किसी भी सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं करेगा।

सरकारी संसाधनों का किसी भी तरह चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
कोई भी सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और भवनों का चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता।

चुनाव प्रचार के लिए सरकारी पैसों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी सत्ताधारी नेता कोई नई योजना या कोई नया आदेश जारी नहीं कर सकता।

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