आरएके कॉलेज के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएस तोमर ने बताया कि आगे रात का पारा 6 डिग्री तक आएगा, जिससे ठंड में इजाफा होगा। घना कोहरा छाने की स्थिति बनेगी। इससे गेहूं, चना, मसूर फसल में नुकसान होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। फसल इस समय फल और फूल पर है और ऐसे में तेज ठंड पड़ी तो खराब हो जाएगी। पिछले दिनों की तेज ठंड से आष्टा क्षेत्र के दुपाडिय़ा, मालीखेड़ी, मूंदीखेड़ी, काजीखेड़ी आदि गांवों में लहसुन फसल को नुकसान हुआ है। लहसुन की पत्ती सूखने से फसल खराब तक हो गई, जिसका असर सीधे उत्पादन पर पड़ेगा।
जिले में छह हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबा
उद्यानिकी विभाग के अनुसार जिले में करीब 12 हजार हेक्टेयर में लहुसन-प्याज लगाई गई है। इसमें 6 हजार लहसुन और 6 हजार ही प्याज का रकबा है। एक हेक्टेयर (ढाई एकड़) जमीन से 75 क्विंटल और प्याज की 250 क्विंटल के हिसाब से पैदावार होती है। इस हिसाब से लहसुन का 4 लाख 50 हजार और प्याज का 15 लाख क्विंटल का सलाना उत्पादन होता है।
उद्यानिकी फसल हुई थी प्रभावित
दिसंबर और जनवरी महीने की शुरूआत में रात का पारा छह डिग्री से नीचे चला गया था। उस समय गेहूं, चना, मसूर फसल को फायदा हुआ था, लेकिन उद्यानिकी मटर, टमाटर, बैंगन आदि में नुकसान हुआ। इससे किसान चिङ्क्षतत नजर आ रहे हैं। मालीखेड़ी के किसान कृपाल मेवाड़ा ने बताया कि खरीफ फसल खराब होने के बाद रबी में यही हाल रहे तो बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी।
एक नजर में खेती और किसान
– 394000 हेक्टेयर रबी का रकबा
– 40831 उद्यानिक फसल का रकबा
– 318000 जिले में रजिस्ट्रेड किसान
– 30000 हेक्टेयर जैविक खेती का रकबा
– 15000 किसान करते हैं उद्यानिकी की खेती