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रेडियोलॉजिस्ट पर कार्रवाई नहीं करा सके सीएस और कलेक्टर, सोनोग्राफी के लिए भटक रहीं प्रसूताएं

locationसीहोरPublished: Nov 11, 2019 11:28:50 am

Submitted by:

Kuldeep Saraswat

कलेक्टर की ओर से 19 अगस्त को लिखा गया स्वास्थ्य आयुक्त को पत्र, जिले में 27 जुलाई से बंद है सोनोग्राफी की सुविधा

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रेडियोलॉजिस्ट पर कार्रवाई नहीं करा सके सीएस और कलेक्टर, सोनोग्राफी के लिए भटक रहीं प्रसूताएं,रेडियोलॉजिस्ट पर कार्रवाई नहीं करा सके सीएस और कलेक्टर, सोनोग्राफी के लिए भटक रहीं प्रसूताएं

सीहोर. जिला अस्पताल से बिना बताए गायब रेडियोलॉजिस्ट डॉ. नीलम राठौर पर सिविल सर्जन (सीएस) और कलेक्टर के चाहने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। सिविल सर्जन और कलेक्टर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कई पत्र लिख चुके हैं। रेडियोलॉजिस्ट के गायब होने से दिक्कत यह है कि साढ़े 13 लाख की आबादी को एक भी सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिल रही है। नतीजन, मरीज सोनोग्राफी के लिए प्राइवेट सेंटरों पर मोटी रकम चुका रही हैं।

रविवार को पत्रिका ने कलेक्टर अजय गुप्ता से इस मुद्दे पर खुलकर बात की। कलेक्टर ने साफ कहा कि मैं अपना दायित्व पूरा कर चुका हूं, विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा तो वह जबाव देगा। कलेक्टर ने बाद में बात को संभालते हुए यह भी कहा कि वह फिर से सरकार को पत्र लिखेंगे। कलेक्टर गुप्ता के बाद सिविल सर्जन डॉ. आनंद शर्मा से बात की, तो बताया कि मैं तो कई पत्र लिख चुका, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। सिविल सर्जन ने बताया कि 10 दिन पहले तो अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर सीधे स्वास्थ्य आयुक्त को डॉ. नीलम राठौर और डॉ. फैजल अंसारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। यह दोनों ज्वाइनिंग देने के दूसरे दिन से ही बिना बताए अस्पताल से गायब हैं।

एक हजार से तीन हजार रुपए में सोनोग्राफी
जिले में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 193 सरकारी अस्पताल हैं, लेकिन एक में भी सोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिल रही है। सिविल अस्पताल आष्टा और ट्रॉमा सेंटर सीहोर में तो सोनोग्राफी के लिए मशीन भी है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नहीं होने के कारण प्रसूता और मरीजों की सोनोग्राफी नहीं हो पा रही है। सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा नहीं होने को लेकर मरीज मजबूरी में प्राइवेट सोनोग्राफी सेंटर पर जाते हैं और यहां पर 1000 से तीन हजार रुपए तक शुल्क लिया जाता है। आलम यह है कि गरीब परिवार की महिलाएं गर्भावस्था के दौरान जरूरत होने के बाद सोनोग्राफी नहीं करा पा रही हैं। रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण जिले की साढ़े 13 लाख की आबादी परेशान हो रही है।


जिले में कैसे बने ऐसे गंभीर हालात
सीहोर जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के पद पर डॉ. नितिन पटेल पदस्थ थे। डॉ. पटेल ने स्वयं के व्यय पर सीहोर से भोपाल ट्रांसफर की अर्जी लगाई, तभी स्वास्थ्य विभाग ने यहां पर पीजी की पढ़ाई पूरी कर इंदौर से लौटी डॉ. नीलम राठौर को भेज दिया। डॉ. नीलम राठौर ने 20 जुलाई को जैसे ही सीहोर जिला अस्पताल में ज्वाइनिंग दी, 27 जुलाई को डॉ. नितिन पटेल को सीहोर से जेपी अस्पताल भोपाल ट्रांसफर हो गया। ट्रांसफर ऑर्डर हाथ लगते ही डॉ. पटेल रिलीव हो गए और 20 जुलाई से रेडियोलॉजिस्ट डॉ. नीलम राठौर अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित हैं। अब जिले में एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है, जिसके कारण सोनोग्राफी की सुविधा बंद है।


दो और डॉक्टर के खिलाफ प्रस्तावित है कार्रवाई
कलेक्टर अजय गुप्ता ने 19 अगस्त को तीन डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य आयुक्त को पत्र लिखा था। इस पत्र में कलेक्टर की तरफ से डॉ. नीलम राठौर के अलावा डॉ. फैजल अंसारी और डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह तोमर पर भी कार्रवाई करने के लिए लिखा गया है, लेकिन एक पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर के पत्र को नजरअंदाज कर डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह तोमर को नसरुल्लागंज से दूसरी जगह पदस्थ कर लिया है।
कैंप के लिए आते हैं प्राइवेट क्लीनिक से डॉक्टर
जिला अस्पताल में हर माह 9 तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित योजना के तहत कैंप लगाया जाता है। इस कैंप में महिलाओं की सोनोग्राफी की जाती है। शिविर में हर महीने 300 से 400 महिलाएं आती हैं। इनकी सोनोग्राफी के लिए सीएमएचओ और सीएस प्राइवेट क्लीनिक से डॉक्टर बुलाते हैं। एक दिन में 30 से 40 सोनोग्राफी हो पाती है, शेष महिलाएं बेरंग लौट जाती हैं, जिन्हें फिर दूसरे दिन बुलाया जाता है।


कलेक्टर अजय गुप्ता से सीधी बात
सवाल : जिले के एक भी सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिल पा रही है ।
जवाब : सोनोग्राफी के लिए मशीन तो है, पर मेरे ख्याल से उसको ऑपरेट करने के लिए महिला रेडियोलाजिस्ट नहीं है। जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भी रेडियोलाजिस्ट नहीं है, वो दिक्कत है।
सवाल : स्वास्थ्य विभाग ने रेडियोलाजिस्ट डॉक्टर नीलम राठौर को पदस्थ किया वे लगातार अनुपस्थित है। आपने आयुक्त को पत्र भी लिखा कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जवाब : मैंने हेल्थ कमिश्रर को पत्र लिखा, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया है।
सवाल : कलेक्टर ने प्रस्ताव भेजा और आयुक्त ने कार्रवाई नहीं की, क्या सब भगवान भरोसे है।
जवाब : ऐसा तो नहीं है, मेरे ख्याल से बीच में उनकी पदस्थापना कहीं दूसरी जगह हो सकती है।
सवाल : दूसरी जगह पदस्थापना हुई है तो जिले को विकल्प क्यों नहीं मिला।
जवाब : इसका जवाब स्वास्थ्य विभाग देगा। मेरा जो दायित्व है मैंने किया है, बाकी देखेंगे सीहोर में जो भी दिक्कते हैं, फिर से पत्र लिखेंगे।

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