पंडित मिश्रा ने कहा कि परमात्मा के चिंतन करने से गर्भ में भी जीव की रक्षा हो सकती हैए जीव को ज्ञान प्राप्त होता है। मां के संस्कार बच्चे को इंसान बना सकता है। घर, परिवार, समाज का उत्थान माताओं पर निर्भर है। बेटे की प्रथम गुरु मां होती है। मां के पास बच्चों के संस्कार का खजाना होता है। शरीर के अंदर मनुष्य की दो धाराएं होती हैं, विचारों और विकारों की। विचार सदगुण और धर्म को जन्म देता है जबकि विकार दुर्गुण और अधर्म पैदा करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि संकट काल में मानव को विचार करना चाहिए। शनिवार को पहले भगवान श्रीराम और उसके पश्चात भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया।