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कोरोनाकाल में एक एकड़ खेत में तुलसी पैदा कर कमाया 35 हजार का मुनाफा

locationसीहोरPublished: Sep 25, 2020 08:58:33 am

Submitted by:

Kuldeep Saraswat

तुलसी पैदा कराने लगाई 9 हजार की लागत, अतिवृष्टि भी फसल में नहीं कर पाई नुकसान

कोरोनाकाल में एक एकड़ खेत में तुलसी पैदा कर कमाया 35 हजार का मुनाफा

कोरोनाकाल में एक एकड़ खेत में तुलसी पैदा कर कमाया 35 हजार का मुनाफा

सीहोर. एक तरफ प्राकृतिक आपदा अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, सोयाबीन सड़ कर खेत में फिर से उगने लगा है, वहीं कई खेत में तुलसी की फसल शानदार लहलहा रही है। जिले में करीब एक दर्जन किसानों ने तुलसी की खेती की है। तुलसी आयुर्वेदिक पद्धति में उपयोग किया जाने वाला महत्वपूर्ण पौधा है। कोरोना संक्रमणकाल चल रहा है। एलोपैथी में अभी इसकी कोई दवा नहीं है, लोग संक्रमण से बचने के लिए होम्योपैथी और आयुर्वेदिक उपचार में ज्यादा रूचि ले रहे हैं। ऐसे में तुलसी के काढ़े ने बाजार में इसकी डिमांड बहुत बढ़ा दी है।

जिले के इछावर विकासखंड में मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से कई स्व-सहायता समूह औषधीय पौधे तुलसी और अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं। बिछौली, शाहपुरा, जमुनिया फतेहपुर, सिराड़ी एवं मोगरा गांव में 8 से 10 महिला किसान के द्वारा सफलता पूर्वक तुलसी की खेती की जा रही है। बोवनी के 60 से 70 दिन बाद तुलसी के पौधे तीन से चार फीट के हो गए हैं। प्राकृति के प्रकोप एवं बारिश की मार से सोयाबीन का उत्पाद बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, लेकिन तुलसी की फसल लहलहा रही है।

इससे महिला किसानों को न केवल अच्छा आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है, बल्कि तुलसी की खेती करने से खेत की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। ग्राम सिराड़ी में तुलसी की खेती करने वाली महिला किसान अनीता बाई ने बताया कि उन्होंने एक एकड़ भूमि में करीब 9000 की लागत से तुलसी की खेती की है, जिसमें 300 रुपए प्रति एकड़ बीज एवं शेष गोबर खाद, निंदाई, गुड़ाई, सिंचाई आदि पर व्यय हुआ है। एक एकड़ पर खेती से 10 से 12 क्विंटल तुलसी प्राप्त हुई, जिसका विक्रय करीब 35 से 38 हजार तक होगा। महिला किसान ने बताया कि तुलसी की खेती करना सोयाबीन और गेहूं की तरह बहुत आसान है। उन्होंने बताया कि तुलसी की खरीदारी वही कंपनी करती हैं, जो किसानों को बीज उपलब्ध कराती हैं।

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