किसानों ने रोका रेसई पार्वती डैम का निर्माण, प्रशासन को एक महीने की मोहलत
किसानों का आरोप : सिंचित जमीन को असिंचित बताकर दिया जा रहा है मुआवजा

सीहोर. बीस गांव के किसानों ने पूर्व घोषणा के अनुरूप सोमवार को रेसई परियोजना के तहत पार्वती नदी में निर्माणाधीन डैम का निर्माण कार्य रोक दिया। किसानों ने कहा कि जब तक प्रशासन सिंचित जमीन को सिंचित मानकर राहत देने का वायदा नहीं करता है, डैम का काम आगे नहीं होने दिया जाएगा। किसानों का आरोप है कि प्रशासन किसानों की सिंचित जमीन को असिंचित बताकर मुआवजे में कटौती कर रहा है। किसानों की जमीन सिंचित है तो मुआवजा भी इसी हिसाब से मिलना चाहिए।
जानकारी के अनुसार 13 जनवरी को 20 गांवों के एक किसान प्रतिनिधि मंडल ने श्यामपुर तहसीलदार अतुल शर्मा को ज्ञापन देकर बताया कि पांच दिन में प्रशासन हमारी लंबित मांग पूरी करे, यदि ऐसा नहीं हुआ तो सोमवार को किसान रेसई परियोजना के तहत सीहोर और राजगढ़ जिले के बॉर्डर पर पार्वती नदी में निर्माणाधीन डैम का काम रोक दिया जाएगा। तहसीलदार को किसान प्रतिनिधि मंडल की तरफ से दिए गए ज्ञापन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसे लेकर सोमवार को सुबह 11 बजे डूब प्रभावित महुआखेड़ा, चांदबड़ जागीर, मानपुरा, रावतखेड़ा, आछारोही, महरेठी, अरनिया सुल्तानपुरा, बिलोदिया, पडिय़ाला चरनाल, दुर्गाव, मगर्दी खूर्द, छतरपुरा, बमूलिया दोराहा, बर्री, घाट पलासी, मगर्दी काला, मोतीपुरा गांव के किसान डैम पर पहुंच गए और निर्माण कार्य रोक दिया। किसानों को डैम का निर्माण कार्य रोकते हुए एक-एक से पुलिस और राजस्व अफसरों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया। सीहोर से एसडीएम अदित्य जैन श्यामपुर पहुंचे, उन्होंने डैम पर पहुंचकर किसानों को समझाया। किसानों ने प्रशासन को फरवरी तक की मोहलत देते हुए कहा कि यदि निर्धारित समय में मांग पूरी नहीं की जाती है तो आंदोलन किया जाएगा।

ऊंचाई कम कर डूबने से बचाए 92 गांव
रेसई परियोजना 2500 करोड़ रुपए की है, जिसके पहले फेज में 1800 करोड़ रुपए का कार्य कराया जा रहा है। इस राशि से बांध और डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों के विस्थापन का कार्य होना है। इस परियोजना का काम पूर्ण होने के बाद 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाएगी। डूब क्षेत्र में 12 गांव आ रहे हैं। इनमें राजगढ़ जिले के सात गांव आंशिक रूप से डूब में आएंगे और सीहोर जिले के 5 गांव पूर्ण रूप से डूब प्रभावित हैं। पहले फेज में बांध और दूसरे में उप नहरें बनाई जाएंगी। पहले इस परियोजना की ऊंचाई 354 मीटर प्रस्तावित की गई थी, जिसे बाद में 11 मीटर कम कर दिया गया और इसका फायदा यह हुआ कि 92 गांव डूब क्षेत्र में आने से बच गए। रेसई परियोजना काम काम साल 2020 में पूर्ण होना था, लेकिन अभी तक पूर्ण नहीं हो सका है। यह योजना साल 1962 में बनाई गई थी।
किसानों को दिया जाएगा 600 करोड़
पहले फेज में मिले 1800 करोड़ रुपए में से करीब 600 करोड़ रुपए किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। भू-अर्जन और सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है। जल संसाधन विभाग ने राजगढ़ भू- अर्जन शाखा से करीब 115 करोड़ रुपए जमा कराए हैं। सीहोर में अभी भू-अर्जन की कार्रवाई चल रही है। किसानों ने सोमवार को एसडीएम से बात कर जल्द भू-अर्जन की कार्रवाई करने और रेकॉर्ड में असिंचित बताई जा रही जमीन को सिंचित मान कर मुआवजा देने की मांग की। किसानों ने लंबित आठ मांग के पूरी करने के लिए प्रशासन को फरवरी तक का समय दिया है।
किसानों की कुछ लंबित मांग
- प्रशासन जल्द भू-अर्जन की कार्रवाई कर मुआवजा वितरण शुरू करे।
- सिंचित भूमि को असिंचित नहीं माना जाए। किसानों को मुआवजा सिंचित भूमि के हिसाब से दिया जाए।
- ग्राम महुआखेड़ा एवं रावतखेड़ा पूर्ण रूप से डूब क्षेत्र हैं, जिसकी राहत राशि देने में देरी की जा रही है। समय पर राशि नहीं मिलने से किसान परेशान हो रहे हैं, तत्काल मुआवजा राशि दी जाए।
- डूब प्रभावित किसानों को राशि जल्द राशि दी जाए, जिससे वह अपनी व्यवस्थाएं जुटा सकें। किसानों को व्यवस्थाएं जुटाने के लिए प्रशासन मदद करे।
- राजगढ़ क्षेत्र के कुडालिया-मोहनपुरा डेम में आने वाले गांवों को विशेष पैकेज दिया गया था, हमें भी दिया जाए।
वर्जन....
- किसान कुछ बात करना चाह रहे थे। किसानों को बताया है कि फरवरी अंत तक भू-अर्जन की कार्रवाई हो जाएगी, अभी हमने उनकी जमीन ली ही नहीं है, जैसे ही प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, मुआवजा मिलना शुरू हो जाएगा।
आदित्य जैन, एसडीएम सीहोर
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